Delhi BJP: दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष सरदार राजा इकबाल सिंह और दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने महापौर चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के महापौर प्रत्याशी को केवल 118 पार्षदों के वोट मिले, जो दर्शाता है कि आम आदमी पार्टी के पास दिल्ली नगर निगम में चुने हुए पार्षदों का बहुमत नहीं है.
महापौर को पार्षदों का बहुमत समर्थन प्राप्त नहीं
सरदार राजा इकबाल सिंह ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक ऐसा व्यक्ति महापौर चुना गया है जिसे पार्षदों का बहुमत समर्थन प्राप्त नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि 249 पार्षदों वाले सदन में आम आदमी पार्टी के पास 126 पार्षद होने की प्रशासनिक जानकारी थी, लेकिन मतदान के बाद गिनती में केवल 118 पार्षदों ने ही आम आदमी पार्टी को वोट दिया.
आप के 118 पार्षदों ने ही किया आप महापौर के पक्ष में मतदान
उन्होंने कहा कि दिल्ली के सभी 10 सांसद एवं नामांकित 14 विधायकों को भी मतदान का अधिकार था जिसमें से 16 यानी 3 राज्यसभा सांसद एवं 13 विधायक भी आम आदमी पार्टी के थे. इस प्रकार सदन में मतदान शुरू होने से पहले आम आदमी पार्टी के 126 पार्षद एवं 16 अन्य यानि कुल 142 वोट आम आदमी पार्टी के महापौर प्रत्याशी को मिलना तय माना जा रहा था और अंतिम समय एक कांग्रेस पार्षद ने भी "आप" की सदस्यता ले ली तो कुल 143 वोट हो गये. एक "आप" सांसद वोट देने नहीं आईं तो माना गया कि "आप" को 142 वोट मिलेंगे.
लेकिन सदन में जब मतदान के बाद गिनती हुई तो "आप" प्रत्याशी को केवल 133 वोट मिले जिसमें से 15 वोट सांसद विधायकों के हैं. जिससे स्पष्ट होता है कि "आप" के सांसदो एवं विधायकों ने तो पार्टी प्रत्याशी को वोट दिया पर 126 + 1 = 127 पार्षदों में से केवल 118 पार्षदों ने ही "आप" को वोट दिया
इसलिए बीजेपी के पक्ष में पार्षदों ने डाला वोट
वहीं, दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने बिना पार्टी छोड़े अपनी पार्टी के महापौर प्रत्याशी के विरूद्ध वोट डाला, जो दर्शाता है कि इन पार्षदों ने आम आदमी पार्टी में बढ़ते भ्रष्टाचार और खासकर पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल की कुनीतियों के खिलाफ वोट डाला है.
आप खो चुकी अपने पार्षदों का समर्थन
बीजेपी नेताओं ने कहा कि वे शीघ्र उपराज्यपाल महोदय के संज्ञान में यह लायेंगे कि आम आदमी पार्टी अब अपने पार्षदों का समर्थन खो चुकी है और उसे अब निगम सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि यह आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है और यह दर्शाता है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है.