Delhi Budget Session 2023: दिल्ली में सियासी उठापटक के बीच 17 मार्च को विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है. 21 मार्च को दिल्ली का वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया जाएगा. दिल्ली सरकार (Delhi Government) के सामने पुरानी योजनाओं को जारी रखने, राजधानी के बुनियादी आधार को मजबूती प्रदान करने और अपनी छवि को सुधारने के साथ इस बार के भी वित्तीय बजट को पिछले साल की तुलना में इजाफा कर पेश करने की बड़ी चुनौती होगी. इसके अलावा दिल्ली के आम लोगों की भी इस बजट से काफी अपेक्षाएं हैं कि उन्हें महंगाई से राहत मिलने के साथ-साथ राजधानी में रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराए जाएं.


दिल्ली विधानसभा में पेश होने वाले वित्तीय बजट को लेकर अर्थशास्त्री आकाश जिंदल से एबीपी लाइव ने खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि 21 मार्च को पेश होने वाला यह बजट स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा व्यवस्था, बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार सृजन, पुरानी योजनाओं को जारी रखना जैसी आवश्यक विषयों पर आधारित होगी. उम्मीद के मुताबिक इस बार भी सरकार की ओर से अपने कार्यकाल के पिछले सालों की तरह बढ़ोतरी के साथ बजट पेश करेगी. पिछली बार 75 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया था और उम्मीद के मुताबिक इस बार लगभग 4 से 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी इसमें देखी जा सकती है.


'एमसीडी परिणाम का दिखेगा सकारात्मक असर'


उन्होंने कहा कि सरकार के सामने इस बार अपनी छवि सुधारने की भी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन जनता की उनसे उम्मीदें भी ज्यादा हैं. इसको देखते हुए पुरानी बड़ी योजनाओं को सरकार की ओर से जारी रखते हुए पर्याप्त रुपये योजनाओं के लिए आवंटित किए जा सकते हैं. उन्होंने कहा, "वर्तमान में सियासी बयानबाजी और खींचातानी हमें जरूर देखने को मिली है, लेकिन एमसीडी और विधानसभा दोनों में एक पार्टी के होने से इसका सकारात्मक परिणाम हमें देखने को मिलेगा. आवंटित बजट का पिछले साल की तुलना में अच्छा नतीजा देखा जा सकता है. दिल्ली की जनता महंगाई से राहत और रोजगार के अवसर को, पेश होने वाले इस बजट में तलाश रही है और उम्मीद भी है कि सरकार के पिटारे में इस बार खास तोहफा होगा."


इस विषय पर भी देना होगा सरकार को ध्यान


आकाश जिंदल ने कहा कि एक समय हुआ करता था कि दिल्ली में लोग रोजगार के अवसर को देखते हुए बड़ी संख्या में आते थे और अपनी नौकरी-व्यापार के साथ यहां पर ही रहते थे. इसकी वजह से दिल्ली की अर्थव्यवस्था को हर मोर्चे पर मदद मिलती थी, लेकिन बीते कुछ सालों से गुरुग्राम जैसे बड़े शहरों की तरफ यहां के लोग जाते नजर आ रहे हैं. दिल्ली केवल आवासीय क्षेत्र तक ही सीमित रह जा रहा है. इस विषय पर सरकार को गंभीरता से ध्यान देना होगा कि दिल्ली में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर को हर वर्ग के लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाए, जिससे यहां पर लोग रहने के साथ-साथ अपने रुपयों को भी खर्च करें.


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