Delhi: केजरीवाल सरकार ने द्वारका को दिया तोहफा, इन राज्यों को जोड़ने के लिए बनेगा इंटर-स्टेट बस टर्मिनल
Dwarka Interstate Bus Terminal News: इस टर्मिनल के बनने से राजस्थान, हरियाणा समेत पश्चिमी राज्य द्वारका के जरिए राजधानी दिल्ली से जुड़ जाएंगे. राजधानी दिल्ली में इस वक़्त तीन आईएसबीटी है .
Dwarka Inter-State Bus Terminal: दिल्ली सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए घोषित किए गए बजट में दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान देते हुए विभिन्न योजनाओं की घोषणाएं की हैं. उनमें से एक योजना द्वारका (Dwarka) से जुड़ी हुई है. इसके तहत द्वारका में इंटर स्टेट बस टर्मिनल (Interstate Bus Terminal) बनाया जाएगा. वर्षों से लंबित चली आ रही इस परियोजना के इस बजट में घोषित किए जाने के बाद, अब इसके धरातल पर उतरने की उम्मीद नज़र आ रही है.
इस टर्मिनल के बनने से राजस्थान, हरियाणा समेत पश्चिमी राज्य द्वारका के जरिए राजधानी दिल्ली से जुड़ पाएंगे. राजधानी दिल्ली में इस वक़्त आइएसबीटी कश्मीरी गेट, आनंद विहार और सराय काले खां को मिला कर तीन आईएसबीटी है .
द्वारका सेक्टर-22 में है प्रस्तावित टर्मिनल
प्रस्तावित इंटर स्टेट बस टर्मिनल द्वारका के सेक्टर 22 में बनाया जाना है. वर्षों पुरानी इस परियोजना के बारे में कहा गया था कि यह टर्मिनल दिल्ली के दूसरे टर्मिनल की तरह मल्टी मॉडल सिस्टम पर आधारित होगा. यानी टर्मिनल के आसपास यातायात से जुड़े दूसरे साधन भी यहां आसानी से उपलब्ध होंगे. इस टर्मिनल की सबसे बड़ी खासियत इसकी लोकेशन है. यह एयरपोर्ट, मेट्रो और रेलवे से सीधा जुड़ा होगा. इसके अलावा इसके आसपास प्रस्तावित योजनाएं इसे अन्य टर्मिनल के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण बनाएंगी. टर्मिनल के आसपास प्रस्तावित योजनाओं में कन्वेंशन सेंटर, आइटी पार्क, फ्रेट कॉम्प्लेक्स आदि शामिल हैं.
22 हेक्टेयर जमीन आरक्षित
राजस्थान, हरियाणा समेत अन्य पश्चिमी राज्यों की ओर बसों की आवाजाही के लिए वर्ष 2008 में सरकार ने द्वारका में आइएसबीटी निर्माण की योजना तैयार की थी. उम्मीद थी कि यहां से रोज लगभग तीन हजार बसों का संचालन विभिन्न राज्यों के लिए किया जाएगा. इस टर्मिनल के लिए द्वारका सेक्टर 22 में लगभग 22 हेक्टेयर जमीन भी आरक्षित रखी गई है.
पीपीपी स्कीम के तहत होना था निर्माण
एक दशक पहले द्वारका में टर्मिनल की योजना को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) योजना के तहत बनाए जाने का खाका तैयार किया गया था, लेकिन एजेंसियों ने इसमें कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. सरकार की पूर्व योजना के अनुसार, इसे विकसित करने वाली एजेंसी को टर्मिनल के संचालन का जिम्मा 33 वर्षों के लिए दिया जाना था, लेकिन निजी एजेंसियों ने संचालन की अवधि को कम बता कर इस योजना से दूरी बना ली थी. जिस वजह से ये परियोजना अधर में लटकती आ रही थी.