Delhi News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सात विधायकों ने उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान व्यवधान डालने के आरोप में दिल्ली विधानसभा से अपने अनिश्चितकालीन निलंबन को सोमवार को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने निलंबित विधायक मोहन सिंह बिष्ट, अजय महावर, ओपी शर्मा, अभय वर्मा, अनिल बाजपेयी, जितेंद्र महाजन और विजेंद्र गुप्ता को अंतरिम राहत दी जाए या नहीं, इसपर सुनवाई करने के लिए मामले को 20 फरवरी को सूचीबद्ध किया.


याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयंत मेहता ने कहा कि विशेषाधिकार समिति के समक्ष कार्यवाही समाप्त होने तक उनका अनिश्चितकालीन निलंबन नियमों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि इस वजह से विधायक मौजूदा बजट सत्र में भाग लेने में असमर्थ हैं. उन्होंने अदालत से गुजारिश की कि इन विधायकों सत्र की कार्यवाही में हिस्सा की अनुमति दी जाए. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि वह कल सुबह साढ़े 10 बजे सुनवाई करेंगे और सिर्फ अंतरिम आदेश पर विचार करेंगे.


उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान डाली गई थी बाधा
दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ के समक्ष याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए अनुरोध किया गया था. इसके बाद न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने सुनवाई की. पंद्रह फरवरी को जब उपराज्यपाल अपने अभिभाषण के दौरान आप सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाल रहे थे तो बीजेपी विधायकों ने उनके अभिभाषण में कथित तौर पर कई बार बाधा डाली थी. 


बजट सत्र मार्च के पहले सप्ताह तक बढ़ा
वरिष्ठ वकील मेहता ने कहा कि बीजेपी के आठ में से सात विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने 16 फरवरी को निलंबित कर दिया, जबकि उन्हें एक दिन पहले ही 'मार्शल के जरिए सदन से बाहर कर दिया गया था, जिसे उनके कथित गलत आचरण के लिए सजा माना जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि विधायकों को ज्यादा से ज्यादा तीन दिन के लिए निलंबित किया जा सकता है लेकिन यहां निलंबन अनिश्चितकालीन है. बजट को अंतिम रूप देने में हुए विलंब के कारण दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र मार्च के पहले सप्ताह तक बढ़ा दिया गया है.


BJP विधायक अनिश्चित काल के लिए किए निलंबित
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कीर्ति उप्पल और मालविका त्रिवेदी भी पेश हुईं. महावर, गुप्ता और बाजपेयी ने तर्क दिया है कि जवाबदेही के लिए किसी भी आवाज को चुप कराते हुए पूरे विपक्ष को सदन से निलंबित कर दिया गया है. विधायकों ने कहा कि उनका निलंबन सदन के संविधान और कामकाज के नियमों का उल्लंघन है. आश्चर्यजनक रूप से, 16 फरवरी को दिलीप पांडे की ओर से एक असंवैधानिक प्रस्ताव पेश किया गया था. दिलीप पांडे ने विशेषाधिकार समिति के समक्ष लंबित मामलों में निर्णय के निपटान तक याचिकाकर्ताओं को अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने का आदेश दिया. 


याचिका में कहा गया है कि यह विपक्षी सदस्यों को उन महत्वपूर्ण व्यवसायों पर चर्चा में भाग लेने से रोकने के लिए दुर्भावनापूर्ण ढंग से तैयार किया गया था, जिन पर चर्चा की जानी थी और सदन के बजट सत्र में भाग लेने के लिए उन्हें असंवैधानिक रूप से भी बाहर कर दिया गया था. माननीय का आदेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा के अध्यक्ष का पद असंवैधानिक, अन्यायपूर्ण, अन्यायपूर्ण और, किसी भी स्थिति में, चयनात्मक और घोर असंगत है.


याचिका में लगाया गया ये आरोप
वकील सत्य रंजन स्वैन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि यह याचिकाकर्ताओं के मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. इसमें कहा गया है कि निलंबित विधायकों का आचरण अनियंत्रित व्यवहार नहीं है क्योंकि उन्होंने केवल एलजी की ओर से दिए गए भाषण से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है. लेकिन, स्पीकर ने जानबूझ कर सिर्फ विपक्षी विधायकों को ही निलंबित किया. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि स्पीकर का कृत्य प्रथम दृष्टया भेदभावपूर्ण था.


याचिका में कहा गया है कि बजट साल  2025 में विधानसभा चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट है और इसलिए विपक्षी सदस्यों की उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है. बता दें कि, आप विधायक दिलीप पांडे ने उनके निलंबन के लिए सदन में एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष राम ने स्वीकार कर लिया था. निवास गोयल ने 15 फरवरी को इस मुद्दे को विशेषाधिकार समिति को भेज दिया था. विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को छोड़कर बीजेपी के सात सदस्यों को कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया गया है. 


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