New Delhi: दिल्ली के राजघाट पर धरना पर बैठे बेरोजगार बस मार्शलों ने एक बड़ा फैसला लेते हुए दिल्ली सरकार द्वारा अस्थायी तौर पर 4 महीने की नौकरी का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.
10792 सिविल डिफेंस वालंटियर के प्रतिनिधियों ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि, वे सभी आज मथुरा रोड पर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी से मिलकर इस बारे में ज्ञापन सौंपने के लिए जाएंगे अगर उनकी मुलाकात सीएम से नहीं होती और आमने-सामने बैठकर नौकरी को लेकर को कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो सभी मार्शल आम आदमी पार्टी के मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल के घर फिरोजशाह रोड पर 5 नंबर कोठी पर रोजगार के लिए ज्ञापन सौंपने जा सकते हैं.
केजरीवाल ने पहले रोजगार दिया फिर सिग्नेचर कर बेरोजगार किया
रोहिणी सेकेंड डिपो में बस मार्शल के तौर पर तैनात मुकेश पाल सिंह ने बताया कि, "बेरोजगार बस मार्शलों से आज तक कभी भी अरविंद केजरीवाल ने मुलाकात नहीं की, जबकि बस मार्शलों को अरविंद केजरीवाल ने ही रोजगार दिया था और बाद में अपना सिग्नेचर करके सबको बेरोजगार बना दिया. बस मार्शलों के लिए ये बेहद ही कष्टकारी बात है. उन्होंने अपने जीवन के 10 से 12 साल दिल्ली सरकार के कर्मचारी के तौर पर काम करके बर्बाद कर दिए, लेकिन उन्हें वॉलिंटियर करार देकर एक पल में बिना किसी जानकारी के ठन-ठन गोपाल बना दिया. दुख की बात ये है कि पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से वे सभी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. "
बेरोजगार बस मार्शलों की मांग
बस मार्शलों की मांग को लेकर उन्होंने कहा कि, "उनकी नौकरी पर वापसी की आंदोलन में अबतक 1792 बस मार्शल शहीद हो चुके हैं, लेकिन अब तक उनके पक्के रोजगार की राह न बन पाई है. चुनाव के नजदीक आते हुए उन्हें चार महीने की नौकरी के नाम पर पॉल्यूशन ड्यूटी कराई जाती है. जबकि बस मार्शलों की मांग है कि उन्हें 60 साल तक स्थायी नौकरी मिले." हालांकि दिल्ली सरकार इस मामले में चुप्पी साधे हुए है. वे सभी 27 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने वाले हैं, जो तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार की ओर से ठोस निर्णय न आ जाए.
आंदोलन की शुरुआत
आंदोलन को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल आज मुख्यमंत्री आतिशी को ज्ञापन सौंपा कर बातचीत करने की पहल कर सकता है. वही दिल्ली सरकार के किसी जनप्रतिनिधि से मिलकर रोजगार के मामले पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाएगा, तो बस मार्शल 12 नवंबर को मुख्यमंत्री आतिशी जी के विधानसभा कालकाजी में सुबह 10 बजे से महा आंदोलन की शुरुआत करेंगे. इसके बाद सभी मंत्रियों के विधानसभा में आंदोलन करेंगे और बाद में सभी 70 विधानसभा में लगातार हर दिन आंदोलन किया जाएगा.
बेरोजगार बस मार्शलों का संकल्प
बस मार्शलों ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि, वे दिल्ली सरकार और एलजी के बीच फुटबॉल बनकर रह गई है. एलजी निर्देश देकर पल्ला झाड़ लेते हैं और दिल्ली सरकार काम नहीं करती है. जब तक सुनिश्चित रोजगार हेतु प्रॉपर पॉलिसी मैटर दिल्ली सरकार बनाकर एलजी को नहीं भेजेगी, तब तक समस्त बेरोजगार बस मार्शल स्वयं और परिवार के भविष्य को बचाने के लिए आखिरी दम तक लड़ते रहेंगे और वे इस 4 महीने की अस्थायी नौकरी पर वापस नहीं जाएंगे.
मुख्यमंत्री आतिशी ने ड्यूटी पर आने के निर्देश दिए
बता दें कि दिल्ली के एलजी ने सभी बस मार्शलों को 1 नवंबर से ही ड्यूटी पर वापस रखने के निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार की ओर से इसमें देरी हुई और 11 नवंबर यानी आज से बस मार्शलों को वापस नौकरी पर जाना था. जिसके बारे में लगभग एक हफ्ते पहले जानकारी देते हुए सीएम आतिशी ने कहा था कि, "अगले एक हफ्ते में बस मार्शल ड्यूटी पर होंगे और सभी को पॉल्यूशन के खिलाफ लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभानी है. वे प्रदूषण की रोकथाम के लिए हॉटस्पॉट की निगरानी, खुले में कूड़ा जलाने से रोकथाम और प्रदूषण से संबंधित शिकायतों के निस्तारण में सहयोग करेंगे. इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया सोमवार से शुरू की जाएगी. जबकि स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए दिल्ली सरकार जल्द से जल्द एलजी को फाइल भेजेगी".
आज से शुरू होनी थी नियुक्ति की प्रक्रिया
आतिशी ने कहा था कि, 10 हजार बस मार्शलों को ग्रीन वॉरियर्स के रूप में नियुक्ति की मंजूरी दे दी गई है. अगले चार महीने दिल्ली में पॉल्यूशन से लड़ाई में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है और दिल्ली की अलग-अलग जगहों पर उनकी ड्यूटी लगाई जाएगी. जबकि बस मार्शलों ने साफ तौर पर कहा है कि इस अस्थायी नौकरी पर हम नहीं आएंगे. अब देखना दिलचस्प होगा कि साल भर की लड़ाई के बाद चुनाव के समय में मार्शलों को 4 महीने की नौकरी देने का प्रस्ताव देने वाली दिल्ली सरकार मार्शलों की मांग के सामने झुककर उन्हें स्थायी नौकरी देगी या नहीं.
आतिशी ने कहा था कि, 10 हजार बस मार्शलों को ग्रीन वॉरियर्स के रूप में नियुक्ति की मंजूरी दे दी गई है. अगले चार महीनों तक दिल्ली में पॉल्यूशन से लड़ाई में उनकी भूमिका होगी और अलग-अलग कार्यों में उनकी ड्यूटी लगाई जाएगी. जबकि बस मार्शलों ने साफ तौर पर इस अस्थायी नौकरी पर वापसी से मना कर दिया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि साल भर की लड़ाई के बाद चुनाव के समय मार्शलों को चार महीने की नौकरी देने का प्रस्ताव देने वाली दिल्ली सरकार उनकी मांगों के सामने झुक कर उन्हें स्थायी नौकरी देती है या नहीं.
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