Caste Census: दिल्ली CTI ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, कहा- 'जाति के साथ इनकी...',
Caste Census News: दिल्ली सीटीआई के हजारों व्यापारियों, बाजार संघों और उद्योग संघों के प्रतिनिधियों ने जाति जनगणना पर विचार-विमर्श किया. सभी ने एक राय से इस मसले पर भी जनगणना की मांग की.
Delhi CTI On Caste Census : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पूरे से देश में पिछले कुछ समय से जातिगत जनगणना को लेकर बवाल मचा है. इस मसले पर केंद्र में सत्तारूढ़ दल ऐसा करने से बच रहे हैं तो विरोध दलों के नेता हर हाल में जातिगत जनगणना कराने पर उतारू हैं. इस बीच दिल्ली चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने एक बैठक कर एक और सनसनीखेज मसले को इससे जोड़ दिया है. अगर इस पर भी सहमति हुई तो इस बात का भी खुलासा होगा कि देश के राजकोष में किस जाति के लोगों का कितना योगदान है?
दिल्ली चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष बृजेश गोयल शनिवार को इस मसले को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, "पिछले कई महीनों से कई राजनीतिक दल जातिगत जनगणना की वकालत कर रहे हैं. इसके पक्षधर हर हाल में जाति जनगणना कराना चाहते हैं. चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने हजारों व्यापारियों, बाजार संघों और उद्योग संघों के साथ इस मसले पर विचार-विमर्श किया. सभी की राय थी कि जाति जनगणना के अलावा, करदाताओं की जाति जनगणना भी होनी चाहिए."
#WATCH | Delhi: Chairman of the Chamber of Trade & Industry, Brijesh Goyal says, "For the last many months, many political parties have been advocating for caste census. Chamber of Trade and Industry (CTI) held deliberations with thousands of traders, market associations, and… pic.twitter.com/Ztr706y8ed
— ANI (@ANI) August 31, 2024
उन्होंने आगे ये भी कहा, "इस संबंध में सीटीआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है. ताकि सभी को पता चले कि किस जाति के लोग सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं."
क्या है जातिगत जनगणना का मसला?
भारत में जाति-आधारित आंकड़ा संग्रह का एक लंबा इतिहास रहा है. 1931 तक की जनगणना में जातियों की सूचना शामिल हुआ करती थी. वर्ष 1951 के बाद जातिगत आंकड़ों का केंद्र सरकार ने संग्रह बंद करने का निर्णय लिया था. ताकि विभाजनकारी दृष्टिकोण से बचा जा सके और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जा सके, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता और सटीक सूचना की आवश्यकता को देखते हुए नए सिरे से जातिगत जनगणना कराने का आह्वान कांग्रेस सहित कई दलों ने किया है.
इस मसले लेकर सियासी दो गुटों में बंटे हैं. सियासी दलों के बीच इसको लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है. वहीं, बिहार 2023 में जातिगत जनगणना कराने वाला देश का पहला राज्य बन गया.
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