Delhi Chhath Puja News: आस्था का महापर्व छठ 28 अक्टूबर यानी शुक्रवार से नहाए खाए के साथ शुरू हो रहा है. नहाए खाए यानी कि व्रती महिलाएं नदी में स्नान कर सिर्फ एक समय भोजन करती हैं. जिसके बाद अगले दिन खरना किया जाता है यानी कि भोग तैयार किया जाता है. जिसमें मीठा भात और लौकी की खिचड़ी बनाई जाती है और वही प्रसाद में खाई जाती है.
नहाए खाए पर व्रती महिलाएं अपने परिवार के साथ नदी में स्नान करने के लिए पहुंचती हैं. इसी कड़ी में दिल्ली के कालिंदी कुंज यमुना घाट पर व्रती महिलाएं स्नान करने के लिए पहुंची.
गंदे पानी में लगानी पड़ी डुबकी
यमुना घाट पर गंदगी और पानी में बहते झाग को देखकर श्रद्धालुओं को काफी निराशा हुई. कालिंदी कुंज यमुना घाट पर स्नान करने के लिए पहुंची व्रती महिलाओं ने बताया कि हर बार यमुना घाट के किनारे काफी गंदगी देखने को मिलती है. पिछले कुछ सालों से पानी में झाग भी बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में काफी गंदा लगता है लेकिन गंगा या यमुना नदी में छठ पर्व से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है. इसीलिए हम यहां स्नान करने के लिए पहुंचते हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किया जाता.
पिछले 20 सालों से छठ का पर्व मना रही बदरपुर इलाके की रहने वाली लीलावती ने बताया कि छठ पर्व के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना होता है. ऐसे में यमुना में स्नान करके पवित्र होना होता है लेकिन यहां पर बेहद गंदा पानी है. घाटों के किनारे काफी गंदगी पड़ी हुई है, कूड़ा करकट जमा हो रखा है. पानी का रंग भी काफी काला है जिसमें से बदबू आ रही है और तो और पानी में केमिकल वाले झाग भी दिखाई दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हम मजबूर हैं हमें इसी पानी में स्नान करना होता है, लेकिन प्रशासन को इसे लेकर इंतजाम करने चाहिए. छठ पर्व से पहले यहां पर साफ सफाई की व्यवस्था की जानी चाहिए. साथ ही अन्य व्रती महिला ने बताया कि घाटों पर लाइट आदि की भी व्यवस्था नहीं रहती. कई जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं लेकिन वह चालू नहीं है.
36 घंटे तक निर्जला व्रत करती हैं
बता दें कि आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत शुक्रवार यानी 28 अक्टूबर से हो रही है पहले दिन नहाए खाए के साथ ही पर्व शुरू हो जाएगा. जिसमें व्रती महिलाएं नदी में स्नान कर सिर्फ एक समय का खाना खाते हैं, और फिर अगले दिन खरना किया जाता है.
जिसमें प्रसाद बना कर घर के सभी सदस्य उस प्रसाद को खाते हैं और फिर तीसरे दिन ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. इसके बाद चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ देकर यह व्रत पूरा होता है. व्रती महिलाएं छठी मैया का 36 घंटे तक निर्जला व्रत करती हैं.