Delhi News: मुख्यमंत्री केजरीवाल को सिंगापुर जाने की नहीं मिली अनुमति, जानें क्या हैं विदेश जाने के नियम
Delhi News: नियम में मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री से लेकर सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं. सरकारी नियमों के अनुसार, उन्हें सरकारी या निजी, किसी भी तरह की यात्रा से पहले पूरी जानकारी देनी होती है.
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Kejriwal Singapore Trip: पिछले कई दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने प्रस्तावित सिंगापुर के दौरे के लिए केंद्र सरकार की अनुमति मिलने में देरी से नाराज हैं. लेकिन इस विवाद के बाद यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों सीएम केजरीवाल को विदेश जाने की अनुमति नहीं मिली. विदेश जाने के नियम क्या हैं. विदेश जाने के लिए जनप्रतिनिधियों को क्यों अनुमति लेनी होती है? दरअसल सरकार की ओर से जारी नियमों के मुताबिक किसी भी जनप्रतिनिधि को विदेश दौरे से पहले सरकार से परमिशन लेनी होती है. जनप्रतिनिधि की लिस्ट में मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री से लेकर सरकारी अधिकारी तक शामिल होते हैं. सरकारी नियमों के अनुसार, उन्हें सरकारी या निजी, किसी भी तरह की यात्रा से पहले पूरी जानकारी देनी होती है. हालांकि इनमें से कई दौरों के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है.
किसके लिए अनुमति है जरूरी
केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार, किसी राज्य के मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्री या उनसे जुड़े किसी भी अधिकारी के विदेश जाने से पहले न सिर्फ सरकार को सूचना देनी होती है, बल्कि विदेश जाने से पहले सरकार से अनुमति भी लेनी जरूरी है. इन्हें अनुमति के लिए विदेश मंत्रालय के पोर्टल पर आवेदन देना होता है. अनुमति राजनीतिक स्तर के अलावा एफसीआरए अनुमति भी जरूरी है.
सांसदों के लिए क्या है कानून
वहीं सभी सांसदों को भी अपने विदेश दौरे से पहले परमिशन लेनी होती है. इसके तहत लोकसभा सांसदों को स्पीकर से और राज्यसभा सांसदों को उपराष्ट्रपति से अनुमति लेनी होती है. इसी मुद्दे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के विदेश दौरे को लेकर विवाद हुआ था कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुमति नहीं ली थी. इसके साथ ही और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर जाने के प्रस्तावित दौरे का मामला भी इसी से जुड़ा हुआ है.
कौन देता है अनुमति
मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों या दूसरे जनप्रतिनिधियों के विदेश दौरे को अनुमति कई मंत्रालयों और विभागों से गुजरकर आती है. यह प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय के अलावा कैबिनेट सचिवालय होकर आती है. इस लंबे प्रोसेस से गुजरने के बाद किसी को भी विदेश जाने की परमिशन मिलती है. वहीं बता दें कि जनप्रतिनिधियों के विदेश जाने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुमति लेने का नियम 2010 में बना था. बाद में 2015 और फिर 2016 में इसमें कुछ संशोधन भी हुए और अनुमति का दायरा बढ़ाया गया.
क्या पहले भी हुआ है विवाद
यह पहला मामला नहीं है जब मुख्यमंत्री अविंद केजरीवाल के विदेश दौरे पर अनुमति को लेकर विवाद हुआ है. अभी बीते महीने ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इटली दौरे को लेकर अनुमति नहीं मिली थी. गौरतलब है कि अरविन्द केजरीवाल को 2019 में भी ऐसे ही एक मामले में अनुमति नहीं मिली थी.
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