Delhi Noise Pollution: दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अगस्त में ध्वनि प्रदूषण नियम लागू करने के संबंध में बैठक हुई. इस बैठक में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) को ध्वनि प्रदूषण डेटा को जनता के लिए सुलभ बनाने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करने के लिए कहा गया है. अगस्त में हुई बैठक में हर सप्ताह के दूसरे दिन को 'नो हॉनिंग डे' घोषित करने का भी निर्णय लिया गया था.


इस बैठक में कहा गया कि डीपीसीसी ध्वनि निगरानी डेटा को जनता के लिए और अधिक सुलभ बनाने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित कर सकता है. यह फील्ड स्टाफ द्वारा की जाने वाली कार्रवाई पर एक मसौदा तैयार कर सकता है. इसके साथ ही यह दिल्ली में मौजूदा ध्वनि प्रदूषण की निगरानी नेटवर्क को मजबूत करने की संभावना तलाश सकता है. वहीं मुख्य सचिव ने दिल्ली पुलिस और परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि फरवरी और मार्च की तरह ही हॉर्न बजाने के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए.


इस दौरान परिवहन विभाग के सीनियर अधिकारियों ने कहा कि फुटपाथों पर अतिक्रमण और ऑटो रिक्शा द्वारा अवैध पार्किंग के कारण भीड़भाड़ होती है. इस दौरान हॉर्न बजाया जाता है. इस दौरान मुख्य सचिव ने यातायात के सुचारू रूप से चलने के लिए फुटपाथों और ड्राइव वे के साथ-साथ पक्की सड़कों पर अवैध पार्किंग को हटाने के निर्देश दिए. परिवहन विभाग और यातायात पुलिस को "प्रेशर हॉर्न के इस्तेमाल के खिलाफ मुकदमा चलाने और संशोधित निकास के खिलाफ कार्रवाई" बढ़ाने के लिए कहा गया. 


दिल्ली में होने वाले ध्वनि प्रदूषण को लेकर जून में ग्रीन कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में पैनल ने कहा कि लगातार ट्रैफिक शोर, हॉर्निंग, प्रेशर हॉर्न और संशोधित साइलेंसर ध्वनि प्रदूषण में एक प्रमुख कारण हैं. इस दौरान धार्मिक स्थलों पर एम्पलीफायरों और लाउडस्पीकरों के कारण ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए भी पैनल ने सुझाव दिया था. दिल्ली में स्थानीय और नागरिक निकाय - एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली छावनी बोर्ड को ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियमों के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करने का अधिकार नहीं है. वह इस तरह के मामलों में नामित अधिकारियों को उल्लंघन की रिपोर्ट कर सकते हैं.


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