Delhi: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने अपनी एक टिप्पणी में कहा कि किसी को सिर्फ मुस्लिम होने के नाते बच्चा गोद (Child Adoption) लेने से वंचित नहीं किया जा सकता है. दरअसल एक आरोपित ने बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी. उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणी की थी.इसके साथ ही कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा द्वादा आरोपी को डॉक्यूमेंट्स पर हस्ताक्षर करने के लिए जेल अधीक्षक की हिरासत में संबंधित कार्यालय ले जाने के भी निर्देश दिए गए हैं.
ये है मामला
बता दें कि दिल्ली का एक मुस्लिम शख्स आपराधिक मामले में आरोपी होने के चलते तिहाड़ जेल मे बंद है. उसी के द्वारा अपने वकील कौसर खान के जरिए बच्चा गोद लेने के लिए पैरोल की मांग संबंधी याचिका कोर्ट में दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि आरोपी को बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने हैं और संबंधित अधिकारी से भी मिलना है. इसके लिए उसे हरियाणा के नूंह जाना पड़ेगा और इस वजह से उसने पैरोल की मांग की थी.
वकीलों ने कोर्ट में क्या दलीलें दी
वहीं कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने पैरोल देने का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि इस्लाम बच्चा गोद लेने की कानूनी रूप से इजाजत नहीं देता है क्योंकि मुस्लिम समुदाय पर धर्म से संबंधित पर्सनल लॉ लागू होते हैं. वहीं पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की इस दलील पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बेशक बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं देता लेकिन जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 के अंतर्गत हर व्यक्ति को बच्चा गोद लेने का पूरा अधिकार है. ऐसे में याचिकाकर्ता के इस अधिकार को महज इसलिए समाप्त नहीं किया जा सकता क्योंकि वह मुस्लिम है और आपराधिक मामले में आरोपी है.
कोर्ट ने क्या कहा
वकीलों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने टिप्पणी की कि हालांकि याचिकाकर्ता एक मुस्लिम होने के साथ ही आपराधिक मामले में आरोपी है. लेकिन इस कारण उसे परोपकारी कानूनों के तहत मिले अधिकारों से वंचित बिल्कुल नहीं किया जा सकता है.
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