Delhi के सीएम ने सरकारी स्कूल में ऑडिटोरियम का किया उद्घाटन, दो किस्म की शिक्षा को बच्चों के भविष्य के लिए बताया दुर्भाग्य
Delhi Education Model: दिल्ली क मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने दिल्ली सहित देश में दो किस्म की शिक्षा प्रणाली को बच्चों के भविष्य के लिए दुर्भाग्य करार बताया.
Delhi News: दिल्ली के सिविल लाइन स्थित एक सरकारी स्कूल में सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने एक ऑडिटोरियम (Auditorium) का उद्घाटन किया. उन्होंने इस दौरान सरकारी स्कूल (Government School) के बच्चों के परफार्मेंस को प्राइवेट स्कूल से बेहतर बताया. साथ ही देश में दो किस्म की शिक्षा प्रणाली को बच्चों के भविष्य के लिए दुर्भाग्य करार दिया.
बच्चों को प्रदर्शन प्राइवेट से बेहतर
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सिविल लाइन के सरकारी स्कूल में सोमवार को एक शानदार ऑडिटोरियम की शुरुआत हुई है. दिल्ली के हर बच्चे को चाहे गरीब का बच्चा हो या अमीर का, सबको एक जैसी अच्छी शिक्षा मिले, यही हमारी कोशिश है। उन्होंने ऑडिटोरियम में स्कूल के बच्चों के परफार्मेंस को किसी भी निजी स्कूल से बेहतर बताया.
सरकारी स्कूलों के बच्चे ही आईएएस-आईपीएस बनते थे
शिक्षा हमारी सरकार का सबसे अहम क्षेत्र है. हमारी सरकार की विचारधारा या नीति है कि बिना शिक्षा के किसी का विकास नहीं हो सकता. दुर्भाग्यवश, 75 साल पहले हमारे देश में दो किस्म की शिक्षा प्रणाली की शुरुआत हुई. जिनके पास पैसे थे वो प्राइवेट स्कूल में पढ़ने लगे और गरीब थे वो सरकारी स्कूल में पढ़ते रहे. जबकि आजादी के बाद 25 सालों तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र ही आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक बनते थे. धीरे—धीरे सरकारी स्कूल खराब होते गए. प्राइवेट स्कूलों की बाढ़ आ गई.
सरकारी स्कूल खराब नहीं थे
ऐसा नहीं है कि पहले सरकारी स्कूल खराब थे. लेकिन दौर ऐसा आया कि प्राइवेट स्कूलों को दौर चल पड़ा. हालात, ये है कि गरीब लोग बेहतर शिक्षा हासिल नहीं कर सकते. यह सही स्थिति नहीं है. इस स्थिति को हमने बदला है. पिछले आठ साल के दौरान दिल्ली एजुकेशन मॉडल के तहत हमने सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की शुरुआत की है. आज दिल्ली में सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था है. निजी स्कूलों के बच्चे यहां आकर पढ़ने लगे हैं. हमारी कोशिश है कि बहुत जल्द सभी सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों से बेहतर दिए जाएं. ताकि हमारे बच्चे भी बेहतर शिक्षा हासिल कर सकें.