LG on Delhi CM Residence: दिल्ली में मुख्यमंत्री बंगले का विवाद थम नहीं रहा है. उपराज्यपाल ने बयान जारी कर आम आदमी पार्टी की नौटंकी बताया है. बता दें कि पीडब्ल्यूडी ने मुख्यमंत्री आतिशी को नया बंगला सौंप दिया है. 6, फ्लैग स्टाफ मार्ग के बंगले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रहते थे. मुख्यमंत्री आतिशी को अरविंद केजरीवाल का बंगला अलॉट हुआ है. पीडब्ल्यूडी ने मानदंडों के अनुसार 10 अक्टूबर को सभी सामान की सूची तैयार की. 11 अक्टूबर को अरविंद केजरीवाल की उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री आतिशी को बंगला आवंटित हो गया.
बयान के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बंगले की चाबी और कब्जा 9 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी को सौंपा था. उपराज्यपाल ने कहा कि पीडब्ल्यूडी सरकारी संपत्तियों का मालिक है. सरकारी आवास को खाली कराने या आवंटित करने में प्रक्रिया का पालन होता है. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री प्रक्रियाओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं. प्रक्रियाओं का उल्लंघन प्रथमदृष्टया जानबूझकर किया गया था. उपराज्यपाल दफ्तर से कहा गया कि मुख्यमंत्री आतिशी को आवंटित आवासीय परिसर 1905 वर्ग मीटर में निर्मित है और कैंप कार्यालय 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में बना है.
मुख्यमंत्री बंगले का नहीं थम रहा विवाद
इसकी तुलना में प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीशों, मंत्रियों को टाइप-8 बंगले का निर्मित क्षेत्र केवल 460 वर्ग मीटर होता है. अन्य उपयोगिताओं के लिए अतिरिक्त क्षेत्र 100 वर्ग मीटर का होता है. उपराज्यपाल ने कहा कि बंगला सौंपे जाने के 48 घंटों में आप नेताओं और मुख्यमंत्री ने भी न केवल तय मानदंडों, प्रक्रियाओं और तथ्यों को तोड़-मरोड़ा और लगातार उपराज्यपाल पर अभद्र टिप्पणी की, बल्कि पूरे देश के लोगों को भी इस विषय पर गुमराह करने का कुटिल प्रयास किया.
उपराज्यपाल दफ्तर से जार हुआ बयान
उन्होंने उपराज्यपाल पर राजनीतिक उद्देश्यों का आरोप लगाते हुए अभद्र टिप्पणी की. बयान में कहा गया कि आप नेता अच्छी तरह से जानते थे कि आवास खाली करने या आवंटन की प्रक्रिया से उपराज्यपाल का लेना-देना नहीं है. संबंधित एजेंसी पीडब्ल्यूडी संवैधानिक रूप से आप सरकार के नियंत्रण में है. उपराज्यपाल दफ्तर ने आगे कहा कि मामला प्रकाश में आने पर पता चला कि केजरीवाल ने बंगले की चाबी सीधे आतिशी को निजी कर्मचारियों के माध्यम से चोरी-छिपे सौंपी थी.
पीडब्ल्यूडी ने नियमों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया तो आप नेता बैकफुट पर आ गये. इसलिए चाबी लौटाने और कब्जा सौंपने के साथ ही उन्होंने उपराज्यपाल को दोषी ठहराने की कोशिश की. उपराज्यपाल के मुताबिक मुख्यमंत्री ने आवास आवंटित नहीं होने पर सड़क से काम करने का दावा किया था. लेकिन दिल्ली के लोगों को बताना भूल गईं कि पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय के ठीक बगल में 17-एबी मथुरा रोड पर एक बंगला आवंटित किया गया है.
इसके अलावा आईटीओ स्थित प्लेयर्स बिल्डिंग (दिल्ली सचिवालय) में सैकड़ों करोड़ की लागत से पुनर्निर्मित एक 7 सितारा कार्यालय है. मुख्यमंत्री को काम करने के लिए आवंटित आवास के साथ-साथ 7 सितारा कार्यालय भी था. उनको नाटक करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. एक तथ्य ये भी है कि 6 फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित आलीशान आवास के बिल्डिंग प्लान को अब तक दिल्ली नगर निगम की तरफ से मंजूरी नहीं मिली है. इसलिए अब तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किया गया है.
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