Delhi News: दिल्ली महिला आयोग की टीम ने दिल्ली नगर निगम (MCD) के स्कूलों का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान स्कूलों की बदहाली का खुलासा हुआ. टीम ने पाया कि निगम के स्कूलों में सुरक्षा गार्ड और सीसीटीवी नहीं हैं. अरूणा नगर और भाटी माइंस में निगम के स्कूलों की इमारतें जर्जर हैं. बच्चे जर्जर इमारतों के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. स्कूलों में शौचालय बंद होने से बच्चों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. गौरतलब है कि हाल ही में दिल्ली नगर निगम संचालित एक स्कूल में लड़कियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था.
निगम के स्कूलों की दयनीय स्थिति का खुलासा
मामले को गंभीर मानते हुए निगम की टीम ने स्कूलों में छात्राओं की सुरक्षा की स्थिति की जांच शुरू करने का फैसला किया. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल, सदस्या प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी, फिरदौस खान और वंदना सिंह ने 20 और 21 मई को 4 एमसीडी स्कूलों भाई मंदीप नागपाल निगम विद्यालय, अरुणा नगर (उत्तर), निगम प्रतिभा सह शिक्षा विद्यालय, केवल पार्क (उत्तर), पूर्वी दिल्ली नगर निगम प्रतिभा विद्यालय, मुस्तफाबाद (पूर्वी), दक्षिण दिल्ली नगर निगम प्राथमिक सह बाल बालिका विद्यालय, संजय कॉलोनी, भाटी माइंस (दक्षिण) का औचक निरीक्षण किया. आयोग की टीम ने निगम के स्कूल भवनों का जायजा लेने के साथ छात्रों, शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने पाया कि स्कूलों की स्थिति दयनीय, असुरक्षित और चिंताजनक थी.
स्कूल के पार्क में इस्तेमाल की गई सिरिंज, ड्रग्स, सिगरेट के डिब्बे
टीम को प्रत्येक स्कूल के गेट खुले मिले. टीम को पता चला कि अरुणा नगर के स्कूल परिसर में नशा करने वाले लोग कई बार घुस जाते हैं और अधिकारियों को धमकाते हैं. स्कूल के पार्क में इस्तेमाल की गई सिरिंज, ड्रग्स, सिगरेट के डिब्बे, गुटखा के रैपर और टूटी हुई शराब की बोतलें पाई गयीं. आयोग नेमामले में तत्काल एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है. अधिकांश स्कूल भवन खतरनाक रूप से क्षतिग्रस्त और बच्चों के लिए असुरक्षित पाए गए. लगभग 800 छात्रों के स्कूल की इमारत बिना प्लास्टर की बनी हुई थी. स्कूल के बाहर साल 2018 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से लगाए गए एक बोर्ड पर लिखा गया था कि "भवन के छज्जे छतिग्रस्त हैं कृपया दूरी बनाए रखें" निगम की ओर से लगी चेतावनी के बावजूद बच्चों को पढ़ाया जा रहा था.
अरूणा नगर के स्कूल में छत और दीवारों के हिस्से जगह-जगह से टूटे हुए पाए गए. मौजूद स्टाफ ने बताया कि कई बार बच्चे और स्टाफ दुर्घटना में बाल-बाल बचे हैं. भाटी माइंस में बच्चे टीनशेड के नीचे बैठने को मजबूर हैं. निरीक्षण में आयोग ने देखा कि स्कूलों में एक भी चालू सीसीटीवी कैमरा नहीं था. स्कूलों के साथ-साथ शौचालय भी बेहद गंदे थे. कई जगहों में फर्श पर मल-मूत्र फैला हुआ था और किसी भी शौचालय में साबुन नहीं था. कई शौचालय के गेट टूटे हुए थे और अंदर से बंद नहीं किए जा सकते थे. बच्चों की सुरक्षा और निजता पर आयोग की टीम ने चिंता जताई. भाटी माइंस के स्कूल में लड़कियों के शौचालयों पर ताला लगा हुआ था और शौचालयों में पानी का कनेक्शन नहीं होने के कारण लड़के-लड़कियां खुले में शौच के लिए मजबूर हैं.
आयोग ने पाया कि सुबह 9 बजे (स्कूल शुरू होने के 1.5 घंटे बाद भी) 9 में से 3 कक्षाओं में शिक्षक नहीं पहुंचे हैं. स्कूल इंचार्ज भी स्कूल में मौजूद नहीं मिला. छात्रों ने बताया कि शिक्षक आमतौर पर सुबह 9 बजे के बाद स्कूल आते हैं. सभी स्कूल के कक्षाओं में छात्रों की काफी भीड़ थी और स्पष्ट था कि शिक्षक-छात्र अनुपात के मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है. पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों को कुछ कमरों में गर्मी में एक साथ भरा हुआ था, जबकि स्कूलों में कई कक्षाएं खाली पड़ी हुई थीं. आयोग को बताया गया कि नगर निगम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सुबह साढ़े सात बजे से 11 बजे तक ग्रीष्मकालीन कक्षाएं चला रहा है. बावजूद इसके किसी भी विद्यालय में मध्याह्न भोजन नहीं दिया जा रहा था.
दिल्ली नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी
अरुणा नगर के स्कूल में प्रबंधन ने बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आदेशानुसार प्रति छात्र रोजाना 2 केले दिए जा रहे थे. अन्य किसी भी स्कूल में ऐसा नहीं हो रहा था. महिला आयोग की टीम को स्कूलों में उचित बेंच उपलब्ध नहीं मिले. भाटी माइंस के स्कूल में कुछ छात्रों को डेस्क की कमी के कारण फर्श पर बैठा हुआ पाया गया. स्कूलों के अधिकांश डेस्क में लोहे की रॉड निकली हुई थी, जिससे बच्चों के साथ दुर्घटना की आशंका थी. आयोग ने स्कूलों में उचित पेयजल की अनुपलब्धता के मुद्दे को देखा. भाटी माइंस के स्कूल में केवल एक ही जगह पर पीने का पानी उपलब्ध था और बहुत गंदा था. आयोग ने मामले में दिल्ली नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया है और 2 जून तक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.
आयोग ने स्कूलों की बदहाली के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का ब्योरा भी मांगा है और नगर निगम से कार्रवाई करने को कहा है. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, "मैं दिल्ली नगर निगम के स्कूलों की निराशाजनक स्थिति को देखकर स्तब्ध हूं. ये स्कूल डरावने घर जैसे हैं जहां छात्र और शिक्षक बेहद असुरक्षित हैं. बिना सुरक्षा गार्ड और सीसीटीवी के स्कूल कैसे चल सकता है? जिस भवन में एमसीडी ने ही बोर्ड लगा कर लोगों से भवन क्षतिग्रस्त होने के कारण दूर रहने का अनुरोध किया हो उस भवन में स्कूल कैसे चल सकता है? मामले में दिल्ली नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया है. स्कूलों की बदहाली में तत्काल सुधार होना चाहिए और स्कूलों की निराशाजनक स्थिति के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए."