Delhi News: दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली सरकार के डिविजनल कमिश्नर को नोटिस जारी किया है. मामला एसिड बिक्री के प्रावधानों और नियमों को सुचारु रुप से लागू करने में विफल रहने का है. जारी नोटिस में एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है गई है. महिला आयोग ने डिविजनल कमिश्नर को बताया है कि राजधानी में खुलेआम तेजाब बिकता है और एसिड अटैक के मामले आए दिन संज्ञान में आते हैं. दिल्ली में एसिड बिक्री की रोकथाम के लिए उठाये गए कदमों की भी जानकारी देने को कहा गया है. शाहदरा और उत्तर जिले के संबंधित विभागाधिकारियों के खिलाफ पिछले 6 साल में एक भी निरीक्षण नहीं करने का आरोप है.


'अधिकारी एसिड की बिक्री की ठीक से जांच नहीं कर रहे'


5 जिलों पूर्व, उत्तर, नई दिल्ली, उत्तर पूर्व और शाहदरा जिलों के एसडीएम पर 2017 के बाद से अनियमित एसिड बिक्री पर एक भी जुमार्ना नहीं लगाने के लिए कार्रवाई की मांग की गई है. आयोग ने एसिड अटैक पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए जुमार्ने के रूप में 2017 से एकत्र 36.5 लाख रुपये की राशि के उपयोग पर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, "राजधानी में एसिड की बिक्री खुलेआम जारी है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिले के संबंधित अधिकारी एसिड की अनियंत्रित बिक्री की ठीक से जांच नहीं कर रहे हैं.


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5 जिले 2017 से एक भी जुमार्ना लगाने में नाकाम साबित 


2 जिले इस संबंध में पिछले 6 वर्षों में एक भी निरीक्षण करने में विफल रहे हैं और 5 जिले 2017 से एक भी जुमार्ना लगाने में नाकाम साबित हुए हैं. स्पष्ट है कि एसिड बिक्री जैसे गंभीर मुद्दे को प्राथमिकता के तौर पर नहीं लिया जा रहा है. 6 साल में जुमार्ने के रूप में एकत्र की गई 36.5 लाख रुपये की राशि भी बैंक में पड़ी है. राशि का इस्तेमाल एसिड अटैक सर्वाइवर्स के पुनर्वास के लिए किया जा सकता है. मामला बेहद ही खेदजनक स्थिति को दर्शाता है. हमने अभी तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है और मुझे उम्मीद है कि जल्द ही सकारात्मक बदलाव किए जाएंगे."


सर्वोच्च न्यायालय ने 'लक्ष्मी बनाम भारत संघ और अन्य' के मामले में देश में एसिड हमलों को रोकने के लिए एसिड की बिक्री को विनियमित करने के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों को कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इस संबंध में, दिल्ली सरकार ने एसिड की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए एक आदेश पारित किया था. आदेश में क्षेत्र के संबंधित उपजिलाधिकारी को नियमों के उल्लंघन पाए जाने पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का अधिकार दिया था. 


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