Delhi News: देश मे हुई नोटबंदी (Demonetisation) से देश का हर तबका प्रभावित हुआ, जहां इससे कालाधन रखने वालों पर हमला हुआ तो वहीं मध्यमवर्गीय लोग भी इससे प्रभावित हुए. इसके बाद फिर कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन ने लोगों की हालत और खराब कर दी. आय का स्रोत बंद हो गया, कितने ही बेरोजगार हो गए, लेकिन उनके खर्चे नहीं रुके, जिससे मध्यम वर्गीय लोग कर्ज के बोझ के नीचे दबते चले गए. किसान, नौकरीपेशा या फिर व्यापारी हर वर्ग पर लॉकडाउन का बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा और वे उस दौरान लिए कर्ज के दलदल से अबतक बाहर नहीं निकल पाए हैं. वहीं अब ये आम लोगों के गुस्से का कारण बनता जा रहा है, क्योंकि देश मे लगे लॉकडाउन ने उनका व्यापार-नौकरी प्रभावित किया ही, साथ ही जो जमा-पूंजी थी वो भी खत्म हो गयी और वो कर्जदार हो गए. इसलिए अब लोग सरकार से कर्जा माफ करने की मांग कर रहे हैं.


बता दें कि, इसे लेकर देश के विभिन्न राज्यों से सैकड़ों लोग दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचे और एकदिवसीय सांकेतिक भूख हड़ताल किया. लोगों का कहना है कि सरकार बड़े-बड़े उद्योगपतियों का कर्जा माफ कर देती है. साथ ही किसानों का भी कर्ज माफ कर दिया जाता है, लेकिन आम लोगों का कर्ज क्यों माफ नहीं किया जाता है? उन जैसे मध्यम वर्गीय परिवार और छोटे-मोटे व्यापारियों का क्या दोष है, जो लाखों के कर्ज में डूबे हुए हैं. सरकार ने 12,770 करोड़ रुपये का लोन अंडरराइट किया है, उसी तरह आम लोगों का कर्ज भी दो साल के लिए अंडरराइट क्यों नहीं किया जा सकता है.


कर्ज की वजह से हुई कई आत्महत्याएं
एकदिवसीय भुख हड़ताल पर बैठे लोगों ने केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है. प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि जिस तरह बड़े-बड़े उद्योगपतियों का कर्जा माफ किया जाता है, उसी तरह उनका कर्ज भी माफ किया जाए. वहीं अगर उनका कर्ज माफ नहीं किया जा सकता तो उन्हें 2 साल की मोहलत दी जाए. जिससे वो अपनी सुविधा के अनुसार उस कर्ज की अदायगी कर सकें. आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली के अलावा कई जगहों से ऐसी खबरें कुछ समय पहले आई थी जहां पर व्यापारियों ने अपने ऊपर कर्जा होने की वजह से आत्महत्या कर ली थी. दिल्ली के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से कर्ज में डूबे लोगों ने आत्महत्या की कई घटनाएं भी सामने आई थी.


देश भर में 10 महीनों से चल रहे अभियान में लाखों लोग जुड़े
'निशुल्क कर्ज मुक्ति भारत अभियान' के तहत आज दिल्ली के जंतर मंतर पर सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिनमें काफी संख्या में महिलाएं भी थी. हाथों में तिरंगा लेकर जंतर-मंतर पहुंचे लोगों ने एक दिन की सांकेतिक भूख हड़ताल रखी है. इस दौरान इस अभियान का नेतृत्व कर रहे शाहनवाज चौधरी ने बताया कि देश में कर्जा मुक्त अभियान पिछले 10 महीनों से चल रहा है और साढ़े 3 लाख से ज्यादा लोग इस अभियान से जुड़ चुके हैं. उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में अब तक सात बार वित्त मंत्रालय को और चार बार प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन भी भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है.


कर्ज माफ हो या 2 वर्ष की मोहलत दी जाए
उन्होंने कहा कि सरकार के ही आंकड़े हैं कि पिछले 5 वर्ष में 50 से अधिक लोग कर्ज के कारण आत्महत्या कर चुके हैं. हम लोग नहीं चाहते कि एक व्यक्ति कर्ज के कारण कोई गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाये. इसलिए सरकार को इस विषय की गंभीरता को समझना चाहिए और हमारी सरकार से मांग है कि वे लोग, जो नोटबंदी, जीएसटी के कारण कर्ज के दलदल में फंसे हैं या तो सरकार उनका कर्जा माफ करें. वहीं अगर उनका कर्जा माफ नहीं किया जा सकता है तो कर्जा चुकाने के लिए कम से कम 2 साल का समय दिया जाए.