Delhi News: दिल्ली कांग्रेस के नेता और दिल्ली में मंत्री रहे हारून युसुफ (Haroon Yusuf) ने राष्ट्रीय राजधानी में जारी सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच लंबे अरसे बाद बड़ा बयान दिया है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि आप आदमी पार्टी (AAP Leaders) के नेता अध्यादेश के मसले पर वर्तमान में जो कर रहे हैं, वह कोई नई बात नहीं है. आम आदमी पार्टी प्रमुख ने साल 2013 के दिल्ली चुनावों के बाद भी ऐसा ही किया था. उस समय मैं दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस का नेता था. उन्होंने कहा कि 2013 में दिल्ली में सरकार बनाने और लोकपाल (Lokpal) बिल पारित करने के लिए आप ने हमसे समर्थन मांगा था. उस समय हमने दिल्ली की भलाई के लिए यह जानते हुए भी उनका समर्थन किया था कि वो हमारे नेताओं का उपहास करेंगे. 


हारून युसुफ का कहना है कि इसके बाद भी लोकपाल बिल का क्या हुआ और उन्होंने कांग्रेस के सहयोग का क्या सिला दिया, ये सब जानते हैं. उन्होंने लोकपाल बिल पारित किए बिना और अपने अन्य वादे पूरे किए बिना 49 दिनों के भीतर उस सरकार को गिरा दिया. अब एक बार फिर आम आदमी पार्टी के नेता वही नहीं कर रहे हैं. यानी हमारे नेताओं का उपहास और अध्यादेश के मसले पर कांग्रेस का समर्थन लेने की कोशिश नहीं कर रहे हैं क्या? यही काम 10 साल पहले भी आप ने कांग्रेस के साथ किया था. 



अध्यादेश संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ


बता दें कि दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद आप नेताओं उसे लोकतंत्र की जीत बताया था. साथ ही शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद बीजेपी पर सियासी हमला बोलते हुए जश्न भी मनाया था, लेकिन अदालत का फैसला आने के आठ दिन बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लागू कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिया था. तभी से आम आदमी पार्टी के नेता अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं.  आप नेताओं का कहना है कि अध्यादेश संवैधानिक प्रावधानों और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है. 


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