DUSU Election Result: DUSU चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों का नहीं दिखा असर, NSUI नहीं कर सकी वापसी, क्या हैं इसके संकेत?
Delhi Politics: अरविंदर सिंह लवली ने डूसू चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस के 26 स्टार प्रचाकरों को जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन ये नेता एनएसयूआई प्रत्याशियों को जीत नहीं दिला पाए.
Delhi News: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2023 (DUSU Election 2023) में भी नेशनल स्टूडेंट यूनियन आफ इंडिया (NSUI) डीयू के छात्रों का भरोसा जीतने में कामयाब नहीं हुई. इस बार भी साल 2019 की तरह एनएसयूआई को सिर्फ एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा. एनएसयूआई इस बार डूसू उपाध्यक्ष का पद जीतने में कामयाब हुई. जबकि कांग्रेस ने अपने कई कद्दावर नेताओं को एनएसयूआई प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए मैदान में उतारा था. इन स्टार प्रचारकों ने डूसू चुनाव प्रचार के दौरान एबीवीपी और बीजेपी पर कई संगीन आरोप भी लगाए थे. इसके बावजूद दिल्ली विश्वविद्याल के छात्रों द्वारा एनएसयूआई को नकारना पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.
इस बात की चर्चा इसलिए हो रही है कि दिल्ली कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने डूसू चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस के 26 स्टार प्रचाकरों को जिम्मेदारी सौंपी थी. इनमें युवा नेता कन्हैया कुमार, पूर्व विधायक अलका लांबा, दिल्ली के पूर्व कांग्रेस अनिल चौधरी, पूर्व विधायक नसीब सिंह, भीष्म शर्मा सहित 26 नेताओं को मैदान में उतारा था. अलका लांबा, अनिल चौधरी, कन्हैया कुमार ने तो जोरदार प्रचार भी किया. अरविंदर सिंह लवली खुद एनएसयूआई की जीत को सुनिश्चित करने के लिए एनएसयूआई प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया था. अलका लांबा ने चुनाव में गंभीर अनियमितता और काउंटिंग के दौरान गड़बड़ी की आशंका जाहिर की थी. कन्हैया कुमार ने एबीवीपी पर गुंडागर्दी का आरोप लगाा था. इतना ही नहीं, उन्होंने एबीवीपी और बीजेपी चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि हम उनसे डरते नहीं.
कन्हैया और अलका भी नहीं आये काम
अलका लांबा ने शनिवार को अपने पोस्ट एक्स में कहा था कि एनएसयूआई के प्रत्याशी चारों पदों पर बढ़त बनाए हुए हैं। वह एनएसयूआई को जीत की ओर आगे बढ़ता देख बौखलाहट में हैं. पूरी भाजपाई सत्ता और विश्वविद्यालय संघी प्रशासन हेराफेरी पर उतर आया है. चुनाव में किसी भी स्तर पर कोई पारदर्शिता नहीं है. कोई जवाबदेही नहीं, लोकतंत्र की हत्या के प्रयास किए जा रहे हैं. बीजेपी वालों को यह समझने की जरूरत है कि हम चुप नहीं बैठेंगे.
NSUI के प्रति नहीं छात्रों में क्रेज
स्टार प्रचारकों के इन प्रयासों के बावजूद डीयू के छात्रों ने इस बार भी एनएसयूआई का साथ नहीं दिया. चुनाव परिणाम (DUSU Election Result) आने के बाद से कांग्रेस नेताओं की चुप्पी अच्छे संकेत नहीं है. ऐसा इसलिए कि एक दौर में एनएसयूआई का दिल्ली छात्र संगठन पर दबदबा होता था, लेकिन दिल्ली प्रदेश इकाई की तरह डूसू चुनाव में एनएसयूआई की हार से साफ है कि कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन के प्रति भी युवाओं के अब पहले वाला आकर्षण नहीं है. ये हालात, उस समय है जब कांग्रेस ने पहली बार महिलाओं के लिए अलग से घोषणा पत्र जारी करने का फैसला लिया था.
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