DELHI: इस साल राजधानी में डेंगू से होने वाली मौतों की कुल संख्या 23 रही, जिसमें से 6 मौतैं अक्टूबर और नवंबर के महीने में दर्ज़ की गई हैं. दिल्ली में इस साल डेंगू से होने वाली मौतों के ये आंकड़े साल 2015 के बाद एक साल में हुए अब तक की मौतों के दूसरे सबसे ज़्यादा आंकड़े हैं. इससे पहले जब दिल्ली ने 2015 में डेंगू का विस्फोट देखा था तब उस साल राजधानी में कुल 16 हजार लोग इसके चपेट में आए थे और 60 मौतें हुई थीं.


इस साल अक्टूबर और नवंबर में डेंगू से हुई सभी 6 मौतों में बच्चे शामिल हैं. दिल्ली नगर निगम द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मरने वाले बच्चों की उम्र 8 महीने से लेकर 15 साल तक है. मृत बच्चों में एक आठ महीने का किरारी का रहने वाला बच्चा है, प्रेम नगर का एक सात साल का बच्चा, दक्षिणपुरी की एक आठ साल की बच्ची, त्रि-नगर का एक 10 साल का लड़का, ओम विहार एक्स्टेंसन का एक 13 साल का लड़का और मेहरौली का एक 15 साल का लड़का शामिल है.


आपको बता दें कि इन मौतों को सरकार द्वारा गठित एक एक्स्पर्ट डेथ ऑडिट कमिटी द्वारा रिव्यू करने के बाद ही जारी किया जाता है. इस कमिटी का मुख्य काम ही यह है कि वह हुई मौतों के प्राथमिक कारण का पता लगाए और साथ ही इस बात की भी पुष्टि करे की मृतक को डेंगू का संक्रमण यहीं दिल्ली में ही हुआ था या नहीं. हालांकि, मौतों का कुल आंकड़ा इससे अधिक हो सकता है क्यूंकि दिल्ली में आस-पड़ोस के कई राज्यों से भी लोग इलाज करवाने आते हैं.


यह भी पढें: Coronavirus Cases Today: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 6 हजार 358 नए केस दर्ज, ओमिक्रोन से अब तक 653 लोग संक्रमित


यह साल डेंगू के फैलाव के हिसाब से इसलिए ज्यादा चिंताजनक है क्यूंकि इस साल 2015 के बाद डेंगू के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं. सोमवार को साप्ताहिक बुलेटिन में 131 नए केसों की पुष्टि की गई और इसी के साथ इस साल कुल डेंगू के मरीज़ों का आंकड़ा 9 हजार 545 पहुंच चुका है. इस साल पूरे साल में सबसे अधिक मरीज़ नवंबर में मिले और इसे लेकर अधिकारियों का कहना है कि इस साल देरी से हुई बारिश इसकी एक बड़ी वजह है. इस साल नवंबर में ही कुल मामलों के 6 हजार 739 मामले दर्ज़ किए गए हैं. इसकी तुलना में साल 2015 में नवंबर में सिर्फ 841 केस ही दर्ज़ हुए थे. सामान्य तौर पर दिल्ली में डेंगू के सबसे अधिक मामले सितंबर और अक्टूबर में दर्ज़ होते हैं और तापमान गिरने के साथ ही मरीज़ों की संख्या में कमी आती है लेकिन इस साल स्तिथि इसके विपरित है.