देशभर में कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिली है. हालांकि इसी बीच दूसरे देशों में कोरोना का खतरा बढ़ता हुआ दिखाई दिया है. चीन जैसे देशों में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं जिसके बाद एक सवाल जो सामने आ रहा है वो ये है कि क्या अपने देश में बूस्टर डोज़ जिसे हम प्रिकॉशन डोज़ भी कह रहे हैं, उसे लगाने का सही वक्त आ गया है? क्योंकि अधिकतर लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुकी हैं, और मौजूदा समय में 18 साल से कम उम्र के किशोरों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है. तो क्या अब उन लोगों को अब वैक्सीन की तीसरी डोज़ लगा देनी चाहिए जिनकी दूसरी डोज लगे 9 महीने पूरे हो चुके हैं ?
जानिए कब लगवा सकते हैं बूस्टर डोज
एबीपी न्यूज़ ने इसको लेकर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर राजीव सूद से बात की जिन्होंने बताया कि कई देशों में बूस्टर डोज लगना शुरू हो गई है और हमारे देश में अभी प्रिकॉशन डोज लगाई जा रही है, जो लोग हाई रिस्क कैटेगरी में हैं, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 65 साल से अधिक उम्र के कुछ लोगों को प्रिकॉशन डोज़ लगाई जा रही है. डॉक्टर सूद ने कहा कि हाई रिस्क और हाई एक्स्पोज़र कैटेगरी वाले लोगों को प्रिकॉशन डोज़ दी जा रही है. इंडिया में अभी सभी लोगों को बूस्टर डोज़ लगाना शुरू नहीं हुआ है. केवल इन्हीं कैटेगरी के लोगों को तीसरा इंजेक्शन लगाया जा रहा है. वहीं बाकी लोगों को ये इंजेक्शन लगाने की बात पर उन्होंने कहा कि वैक्सीन के दूसरे इंजेक्शन के बाद देखा गया है कि 5 से 6 महीने के बाद शरीर में इम्यूनिटी कम होने लगती है, ऐसे में तीसरे इंजेक्शन को 9 महीने बाद लगा सकते हैं. जिसे हम बूस्टर या प्रिकॉशन डोज़ कह रहे हैं और अभी ये प्रिकॉशन इंजेक्शन फ्रंटलाइन और हाई रिस्क लोगों को ही दिया जा रहा है.
लोगों में पाई जाती है दो तरह की इम्यूनिटी
डॉक्टर सूट में डिटेल में जानकारी देते हुए कहा कि 2 तरीके की इम्यूनिटी लोगों में पाई गई हैं, एक इम्यूनिटी वैक्सीन देने के बाद लोगों के शरीर में मिली है, वहीं दूसरी इम्यूनिटी जो लोग कोरोना इनफेक्टेड हो गए थे, और जो लोग A-symtometic थे. उनमें भी अच्छी इम्यूनिटी पाई गई है इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ज़ीरो सर्वे में ये खुलासा हुआ है कि हमारी देश में 'हाइब्रिड इम्यूनिटी' ज्यादा है यानी कि ये इम्यूनिटी लोगों को किसी भी तरीके के संक्रमण और वेरिएंट से बचाव में बेहद कारगर है. डॉक्टर सूद ने कहा कि इसी कारण तीसरी लहर के दौरान लोगों को ज्यादा परेशानी नहीं हुई.
चौथी लहर में नहीं होगा कोरोना से ज्यादा खतरा
साथ ही उन्होंने कहा कि तीसरी लहर के दौरान ओमीक्रोन और डेल्टा वेरिएंट का एक साथ असर देखने को मिला था और मौजूदा समय में यूरोप, इजरायल और यूके में कोरोना के मामले जो बढ़ रहे हैं वो हालात हमारे देश में तीसरी लहर के दौरान ही हो चुके हैं. यानि कि अभी अगर कोई और लहर आती है तो उसमें इस तरीके का खतरा देखने को नहीं मिलेगा. डॉक्टर सूद ने बताया कि मौजूदा समय में बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज़ दी जा रही हैं, देशभर में अब तक 185 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है, लेकिन अभी भी कई लोग ऐसे हैं जिनको वैक्सीन के दोनों डोज नहीं लगी है.
दूसरी डोज के 9 महीने बाद लगेगी बूस्टर डोज
उन्होंने आगे बताया कि,18 साल से कम उम्र के युवाओं को भी वैक्सीन लगाई जा रही है,पहले 15 से 18 आयु वर्ग के किशोरों को वैक्सीन लगना शुरू हुआ. इसके बाद अब 12 से 14 आयु वर्ग के किशोरों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है, और जब तक देश के हर एक व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों डोज़ नहीं लग जाती हैं, तब तक सरकार बूस्टर डोज यानी जिसे प्रिकॉशन डोज़ कहा जा रहा है, वो हर एक व्यक्ति के लिए शुरू नहीं करेगी. हालांकि वैक्सीन की तीसरी डोज़ लगाने का सही समय 9 महीने के बाद है यानी कि दूसरी डोज़ लगाने के 9 महीने बाद तीसरी डोज लगाई जा सकती है, और इसे आप किसी भी सीजन में लगवा सकते हैं , लेकिन अभी ये हाई रिस्क कैटेगरी के लोगों को ही लगाई जा रही है.