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Delhi Corona News: कोरोना के बढ़ते खतरे पर बोले CM केजरीवाल के पूर्व प्रतिनिधि केबी सिंह, कहा- 'सरकार खुद को करे अपग्रेड'

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रतिनिधि चुके केबी सिंह ने कहा कि अगर लोगों को बचाना है तो सरकार को अपने हॉस्पिटल-इक्विपमेंट्स और मेडिकल स्टाफ सहित तैयार और अपग्रेड रहना होगा.

Delhi News: कोरोना का नाम सुनते ही लोगों के जहन में कोरोना की पहली और उससे ज्यादा दूसरी लहर की भयावह स्थित वाली तस्वीर सामने आ जाती है. जो कहीं ना कहीं लोगों को डर का एहसास कराकी है. वहीं एक बार फिर से कोरोना का नया वेरिएंट सामने आया है, जिसे BF.7 का नाम दिया गया है. इस नइ वेरिएंट ने चीन में काफी तबाही मचा रखी है, जिससे पूरी दुनिया की नजर चीन सहित इसके मामलों पर टिकी हुई है. इसी बीच चीन में हाहाकार मचाने वाले BF.7 वायरस ने भारत में भी दस्तक दे दी है. गुजरात और ओडिशा में अब तक इसके चार मामले सामने आ चुके हैं.

नया वेरिएंट कितना खतरनाक है इसकी जांच हो  
इसी को लेकर एबीपी न्यूज़ की टीम ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व प्रतिनिधि, कोरोना और दिल्ली हॉस्पिटल के इंचार्ज रह चुके के.बी सिंह से बात कर ये जानने का प्रयास किया कि ये नया वेरिएंट कितना खतरनाक है और शुरुआत से लेकर अब तक भारत ने कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर को कैसे हैंडल किया और आगे इस नए वैरिएंट से किस तरह लोगों को बचाना चाहिए. खुद आम लोगों को किस तरह की एतिहात बरतने की जरूरत है. 

22 मार्च को देश मे पहली बार लॉकडाउन लगाया गया
के.बी सिंह ने बताया कि कोविड-19 वायरस का पता दुनिया को 2020 में चला. वहीं भारत में भी जब इसके मामले आने शुरू हुए तो उस वक़्त हमारे देश सहित दुनिया भर के हेल्थ एक्सपर्ट और डॉक्टरों की टीम इस खतरे से अनभिज्ञ थी. उस वक़्त लॉकडाउन के अलावा कोई रास्ता नहीं था, इसलिए 22 मार्च को देश मे पहली बार लॉकडाउन लगाया गया और तमाम तरह की सावधानियां बरती गईं. इस तरह पहली लहर से किसी तरह से हमलोग निकल गए, लेकिन दूसरी लहर के दौरान ना तो हमें उसके उतने खतरनाक होने का अंदाजा था और ना ही कोई खास तैयारी थी. इस वजह से दूसरे वेब में काफी मौतें हुई, 

सबसे पहले संक्रमितों को वर्गीकृत किया गया  
केंद्र सरकार ने सभी राज्य की सरकारों और मेडिकल एक्सपर्ट से ऑनलाइन बातचीत कर लगातार कोरोना से लड़ने की कई अलग-अलग रणनीति बनाई. सबसे पहले संक्रमितों को वर्गीकृत किया गया, जिनका ऑक्सीजन लेवल डाउन हुआ था उनके लिए सिर्फ ऑक्सीजन फैसिलिटी वाली तात्कालिक चिकित्सा शिविर बना कर उपचार शुरू किया. वहीं बी टियर में उन संक्रमितों को रखा गया, जिनके लंग्स ऑक्सीजन को इन्हेल नहीं कर पा रहे थे. वहीं जिन संक्रमितों के ऑर्गन्स फेल हो चुके थे, लंग्स बिल्कुल भी काम नहीं कर रहे थे उनके लिए सुपर स्पेशलिटी और आईसीयू वाले चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था की गई थी. 

सरकार को मेडिकल सुविधा अपग्रेड रखना होगा
इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क इम्पोर्ट और प्रोडक्शन पर भी विशेष ध्यान दिया गया. हालांकि, इस लहर के दौरान काफी लोगों की जानें गई और इसकी वजह थी ना तो हमें इसके इतने खतरनाक होने का अंदाजा था, ना इसकी जानकारी थी और ना ही इसकी तैयारी थी. हमारा मेडिकल सिस्टम भी इतना एफिशिएंट नहीं था की इतने लोगों को एक साथ लाइफ सपोर्ट सिस्टम और ऑक्सीजन आदि मुहैय्या करवा पाता. एक बार फिर से कोरोना का नया वेरिएंट BF.7 सामने आया है, लेकिन इस बार हम बिल्कुल भी अनभिज्ञ नहीं हैं, इस बार थोड़ा जानते हैं. थोड़ा इसलिए जानते हैं, क्योंकि कोविड-19 के वायरस और BF.7 के वायरस में काफी अंतर आ चुका है. 

जांच हो तब पता चले नया वायरस कितना खतरनाक
जीनमें सिक्वेंसिंग और म्यूटेशन की वजह से ये वायरस काफी बदल चुका है. कितना खतरनाक हो सकता है ये वायरस ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा, लेकिन अगर लोगों को बचाना है तो सरकार को अपने हॉस्पिटल-इक्विपमेंट्स और मेडिकल स्टाफ सहित पैरामेट्रिक स्टाफ को तैयार और अपग्रेड रखना होगा. वहीं लोग एक बार फिर से मास्क, सैनिटाईजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना शुरू कर दें. क्योंकि बाहर निकलने के बाद कभी भी कोई भी संक्रमण का शिकार हो सकता है. एक बार फिर से दो गज दूरी और मास्क है जरूरी जैसे उपायों को लोगो को अपनाना होगा तभी सभी लोग सुरक्षित रह सकेंगा.

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