Delhi News: दिल्ली में कोरोना के मामलों ने रफ्तार पकड़ ली है और इस रफ्तार के साथ ही जहां एक ओर रोजाना हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं, वहीं अब मौत के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं. यही वजह है कि दिल्ली के कब्रिस्तान में अब लाशों को दफनाने की जगह है कम पड़ गई है.
दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम दिल्ली गेट के सेक्रेटरी शमीम अहमद खान का कहना है कि कब्रिस्तान में अब लाशों को दफनाने की जगह कम पड़ गई है. शमीम खान ने एबीपी न्यूज को बताया कि पिछले लहर में कोरोना से इतनी मौतें हुई थी. उनके कब्रिस्तान में इतनी जगह भी नहीं है कि किसी भी नई लाश को दफनाया जा सके.
इस वजह से कम पड़ी जगह
शमीम ने बताया कि कोरोना से पहले कब्रिस्तान में एक ही प्रक्रिया से सभी लाशों को दफनाया जाता था, लेकिन कोरोना के बाद कब्रिस्तान को दो भागों में बांट दिया गया. एक था नॉन कोविड और दूसरा है कोविड डिपार्टमेंट. ऐसे में सामान्य तौर पर लाश को दफनाने की गहराई तीन फीट होती है, लेकिन कोरोना मरीज की मौत हुई होती है तो उसको छह फीट गहराई में दफनाया जाता है. पिछली लहर में उनके कब्रिस्तान में 1400 से ज्यादा लाशों को दफनाया गया था, जिसके बाद अब उनके कब्रिस्तान में किसी को भी दफन करने की जगह नहीं बची है. हालांकि नॉन कोविड अगर कोई होगा तो उसके लिए जगह बरकरार है.
मजदूरों में भी है डर
इसके साथ ही शमीम खान ने यह भी बताया कि आमतौर पर एक जगह को एक से डेढ़ साल बाद फिर से नई लाश को दफनाने के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता है, लेकिन अगर किसी मरीज की कोरोना वायरस से मौत हुई होती है तो उसके शरीर को पूरी तरह से पैक करके दिया जाता है जिससे वह आसानी से वातावरण में नहीं मिल रही है, इसके साथ ही कब्रिस्तान में काम करने वाले मजदूर भी कोविड वाले भाग में दफनाई गईं लाशों के आसपास खुदाई नहीं करना चाहते.
8-10 लाशों को किया मना
कब्रिस्तान की ओर से दी गई जानकारी में यह भी बताया गया बीते कुछ दिनों में उनके पास 8 से 10 लोग पहुंचे थे, जिन्हें कब्रिस्तान की ओर से मना कर दिया गया और उन्हें दिल्ली के दूसरे कब्रिस्तानों में भेजा गया. इसके साथ हो मस्जिद की कोर कमेटी ने इसको ले कर एक बैठक भी की है जिसमें कोविड लाशों को दफनाने की ज्यादा जगह मांगने को लेकर चर्चा हुई.
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