(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
New Delhi: व्यापारी की हत्या के मामले में दिल्ली कोर्ट ने 11 साल बाद सुनाया फैसला, 7 आरोपियों को किया बरी
Delhi News: कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी अपराध के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार को बरामद करने में विफल रहे हैं और गवाहों की बातों में भी विरोधाभास है, जिसके कारण उनपर भरोसा नहीं किया जा सकता.
Delhi News: रोहिणी सेशन कोर्ट ने दिल्ली के वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक व्यापारी की हत्या के मामले में 11 साल बाद सात आरोपियों को बरी कर दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने 5 मई को सुनाए अपने फैसले में कहा कि यह स्पष्ट है कि किसी भी आरोपी को मौके से गिरफ्तार नहीं किया गया था. आरोपियों को उनके बयानों के आधार पर गिरफ्तार किया गया था जो कि पुलिस हिरासत के दौरान दर्ज किए गए थे. इसके अलावा आरोपियों से कुछ भी आपत्तिजनक बरामद नहीं हुआ. इसलिए आरोपियों के बयान अस्वीकार्य हैं. आदेश में आगे कहा गया कि किसी भी गवाह ने अपने बयानों में किसी भी आरोप व्यक्ति की किसी भी विशिष्ट पहचान का खुलासा नहीं किया है.
हथियार बरामद करने और ठोस सबूत जुटाने में विफल रहे जांच अधिकारी
सुनवाई की पूरी कार्यवाही के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि सभी आरोपियों को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी किया जाता है. कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी अपराध के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार को बरामद करने में विफल रहे हैं और जांच के दौरान बरामद हथियार अपराध का हथियार नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि आरोपी व्यक्ति न तो शिकायतकर्ता को जानते थे और न ही अन्य गवाहों को और गवाहों को घटना की तारीख के बाद अदालत में अपनी गवाही के दौरान पहली बार कई आरोपी व्यक्तियों को देखने का अवसर मिला था. कोर्ट ने आगे कहा कि किसी भी गवाह ने अपने बयानों में किसी भी आरोपी व्यक्ति की किसी विशेष पहचान का खुलासा नहीं किया था. आरोपियों को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि विरोधाभासों के कारण गवाहों की गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
आरोपियों को झूठे केस में फंसाया गया
वहीं अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा था कि 2011 में आरोपी मोहम्मद अकरम, हरि सिंह, उमर अली, नौशाद, मोहम्मद अफसर, नीरज और रंजीत व्यवसाई अनील के कारखाने में घुसे थे और लूटपाट के बाद उसकी हत्या कर दी थी. जबकि आरोपी नीरज और उमर अली के वकील रवि द्राल ने तर्क देते हुए कहा कि आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि पुलिस द्वारा दर्ज किए गए उनके बयान में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया था. आरोपी पहले से ही एक अन्य मामले में हिरासत में थे. उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं और उन्हें झूठे केस में फंसाया गया है.
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