Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने दुष्कर्म के आरोपी एक डॉक्टर को बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी है. अदालत ने अपने फैसले में बताया है कि सारे सबूत बताते हैं कि आरोपी और कथित पीड़िता के बीच सहमति से यौन संबंध बना था. अदालत ने निष्पक्ष जांच की कथित कमी के लिए जांच अधिकारी आईओ की आलोचना की और एक उच्च अधिकारी को जांच के तरीके की जांच करने का निर्देश दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरेंद्र राणा ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौनाचार के आरोपों का समर्थन करने वाला कोई औषधीय-कानूनी मामला नहीं है. उन्होंने शिकायतकर्ता के पूर्ववृत्त में विसंगतियों पर भी ध्यान दिया. साथ ही विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ समान आरोपों के साथ पूर्व एफआईआर का खुलासा करने और गहन जांच की जरूरत पर जोर दिया.
शिकायतकर्ता की मंशा पर उठाए सवाल
अदालत ने कथित दुष्कर्म के बारे में पुलिस को तुरंत सूचित करने के बजाय मध्यस्थता की मांग करने के शिकायतकर्ता के विकल्प पर सवाल उठाया. इसमें कहा गया कि शिकायतकर्ता ने जांच के लिए अपना फोन उपलब्ध नहीं कराया, जांच में शामिल नहीं हुई और आईओ को अपना वर्तमान पता नहीं बताया.
निजी मुचलके पर जमानत
अदालत ने इस मामले में ये भी कहा कि अपराध की गंभीर प्रकृति के बावजूद, अदालत ने आरोपी की जांच पूरी पाई और प्रक्रिया की निष्पक्षता के बारे में चिंता जताई. इसने आरोपी को एक जमानतदार के साथ 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी. कार्यवाही के दौरान आरोपी के वकील ने दावा किया कि डॉक्टर को शिकायतकर्ता द्वारा चलाए जा रहे हनी ट्रैप रैकेट में शामिल किया गया था. अदालत ने डॉक्टर की शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने के लिए आईओ की आलोचना की और जांच के संचालन की जांच के लिए पुलिस उपायुक्त को जांच का आदेश दिया.
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