दिल्ली दंगों के मामले में पांच आरोपियों को दिल्ली की एक अदालत ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगर इनके खिलाफ सबूतों के आधार पर आरोप तय किए जाने हैं और उसके आधार पर इन्हें बाद में बरी किया जाना है तो यह कोर्ट के समय की बर्बादी होगी. इन आरोपियों पर सोनिया विहार में तोड़फोड़ और दुकानों में आग लगाने का आरोप है.
न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने अजय, रोहित सक्सेना, उत्कर्ष, राज और हरेंद्र रावत को सभी को दिल्ली दंगों से जुड़े अपराधों से बरी कर दिया. कोर्ट ने 28 मार्च को एक आदेश में कहा इन आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र के साथ दिए गए सबूतों से आरोप तय नहीं किया जा सकता है.
इस मामले में कोर्ट को पता चला कि इन आरोपियों को केवल एक गवाह ने पहचाना, जिसने आरोपियों की कथित हमलावरों के रूप में पहचान की थी. हालांकि इस गवाह ने दंगाइयों की सीधे रूप से पहचान नहीं की थी. गवाह ने 15.03.2020 को आईओ द्वारा उन्हें दिखाए गए वीडियो फुटेज से इन आरोपियों की पहचान दंगाइयों के रूप में की है. इसके अलावा कोई अन्य गवाह नहीं है जिसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन आरोपियों को हमलावरों के रूप में पहचाना हो.
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वहीं कोर्ट ने आशुतोष, विश्वजीत और हनी के खिलाफ दंगा, आगजनी और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के अपराधों के लिए आरोप तय किए है. जिन्हें एक से अधिक गवाहों द्वारा कथित दंगाइयों के रूप में पहचाना गया है. इससे पहले दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने साम्प्रदायिक दंगों के एक मामले में दो आरोपियों को समानता के आधार पर जमानत दी है.