Fake Call Centers:  दिल्ली की एक कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से शहर के औद्योगिक केंद्रों में तेजी से पनप रहे अवैध कॉल सेंटर के मामले को प्राथमिकता के आधार पर देखने का अनुरोध किया. क्योंकि कोर्ट के अनुसार इनसे देश की बदनामी हो रही है. कोर्ट आरोपी कपिल तनेजा की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जो ओखला फेज-1 में एक फर्जी कॉल सेंटर संचालित कर रहा था और अमेरिका के लोगों से ठगी कर रहा था. अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी और 12 टेलीकॉलर्स की उसकी टीम ने 1.56 लाख डॉलर (लगभग 1.25 करोड़ रुपये) से अधिक की धोखाधड़ी की. इस मामले में संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) पीड़ितों से पूछताछ कर रहा है.


क्या कहा कोर्ट ने?


अतिरिक्त सत्र जज सूर्य मलिक ग्रोवर ने 25 नवंबर के एक आदेश में कहा था कि तथ्यों और परिस्थितियों की मौजूदगी में इस स्तर पर जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है और कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी. जज ने कहा कि शहर के औद्योगिक क्षेत्रों में अवैध कॉल सेंटर से संबंधित कई मामले सामने आ रहे हैं और ये सेंटर अवैध गतिविधियों के केंद्र बन गए हैं. उन्होंने कहा कि अधिकतर कॉल सेंटर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित हो रहे हैं. उनकी फर्जी गतिविधियों से ना केवल निर्दोष लोगों को आर्थिक नुकसान और मानसिक पीड़ा होती है, जो अपनी मेहनत की कमाई खो देते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर देश की बदनामी होती है.


जज ने कहा कि इन अवैध सेंटर पर कोई नियंत्रण नहीं है और ज्यादातर मामलों में कॉल सेंटर के मालिकों को गिरफ्तार नहीं किया गया या वे फरार हैं, जिसकी असली वजह जांच अधिकारी ही जानते होंगे. जज ने यह भी निर्देश दिया कि आदेश की एक प्रति पुलिस आयुक्त को प्राथमिकता के आधार पर मामले पर गौर करने के अनुरोध के साथ भेजी जाए.


अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी ने अपने सहयोगियों के साथ विदेशी नागरिकों को यह विश्वास दिलाकर उनसे धन की उगाही या धोखाधड़ी की कि उनके ऑनलाइन अकाउंट को हैक कर लिया गया. साथ ही उन्हें धन शोधन और बाल अश्लील सामग्री के झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है. अभियोजन पक्ष ने कहा कि कुछ पीड़ितों को बाल अश्लील सामग्री डाउनलोड करने में शामिल पाए जाने का डर दिखाया गया. इस तरह के अपराध के लिए अमेरिकी संघीय कानूनों के तहत 20 साल तक की सजा हो सकती है.


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