दिल्ली दंगा मामले में क्या बढ़ेगी कपिल मिश्रा की मुश्किल, कोर्ट ने दिया क्या आदेश?
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली में मतदान से पहले बीजेपी प्रत्याशी कपिल मिश्रा की मुश्किल बढ़ती दिख रही है. यहां की स्थानीय अदालत ने दिल्ली दंगा मामले में कपिल मिश्रा को लेकर कड़ी टिप्पणी की है.

Delhi News: दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने फरवरी 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगे में हेट क्राइम के आरोप में एक पुलिस अधिकारी पर केस दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने साथ ही इस बात पर नाखुशी जाहिर की कि जांच अधिकारी पूर्व विधायक कपिल मिश्रा की दिल्ली दंगा में कथित भूमिका की जांच में विफल रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी ने मामले को छिपाने की कोशिश की.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट उद्भव कुमार जैन सीआरपीसी की धारा 156 (3) के अंतर्गत दायर आवेदन को सुन रहे थे. इसमें ज्योति नगर एसएचओ और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि वह पुलिस अधिकारी को संज्ञेय अपराध में जांच करने का आदेश दें.
पुलिस की भूमिका पर सवाल
मोहम्मद वासिम नाम के शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसके अलावा चार और लोगों के साथ मारपीट की गई और उन्हें 24 फरवरी को दंगे के दिन राष्ट्रगीत के लिए मजबूर किया गया. एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें पुलिसकर्मी पांचों की पिटाई कर रहे हैं और उन्हें वंदे मातरम गाने को कह रहे हैं.
18 जनवरी के अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि स्पष्ट रूप से ज्योति नगर के एसएचओ और अन्य पुलिसकर्मी हेट क्राइम में संलिप्त थे. कोर्ट ने निर्देश दिया कि एसएचओ के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 ए, 342, 506, 323 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए. मौजूदा एसएचओ को निर्देश दिया कि वह एक जिम्मेदार अधिकारी को इस मामले की जांच और अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच की जिम्मेदारी दे.
कपिल मिश्रा को लेकर कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने साथ ही कहा कि वसीम ने दावा किया है कि दंगाई भीड़ को कपिल मिश्रा लीड कर रहे थे. शिकायतकर्ता ने देखा कि पुलिसकर्मी कथित आरोपी कपिल मिश्रा को मदद कर रही है. पुलिसकर्मी मुसलमानों पर पथराव कर रही थी और गोली चला रही थी. इस हमले के कारण प्रदर्शनकारी, महिला एवं बच्चे अपनी जान बचाने के लिए भागे. इनमें से अधिकांश दंगाइयों का नेतृत्व कपिल मिश्रा कर रहे थे जो खुद चांदबाग की तरफ जाते हुए नारेबाजी कर रहे थे.
कपिल मिश्रा पर लगे आरोपों पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि जांच अधिकारी पुलिस अधिकारियों को लेकर ज्यादा चिंतित थे और या फिर वे कपिल मिश्रा के खिलाफ जांच करने में असफल रहे और उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश की. कोर्ट ने कहा कि समाज में ऐसे व्यक्ति (कपिल) जनता की दिशा या मनोदशा को प्रभावित करते हैं. उनसे संविधान के दायरे में रहकर जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा की जाती है.
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