Delhi High Court on Booster Shot: दुनिया के कई देशों में कोरोना के दो टीके ले चुके लोगों को बूस्टर शॉट्स दिए जा रहे हैं. ऐसे में अब भारत में भी इसे लेकर बात होने लगी है. इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार से बूस्टर खुराक देने को लेकर स्पष्ट जवाब मांगा है. जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने गुरुवार को आश्चर्य जताया कि पश्चिमी देश बूस्टर खुराक खुराक देने की वकालत कर रहे हैं, जबकि भारत सरकार उन लोगों को भी अनुमति नहीं दे रही है जो स्वेच्छा से ले जाना चाहते हैं.


पीठ ने कहा "बूस्टर के बारे में विपरीत राय रही है. हमने दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया को यह कहते हुए सुना कि बूस्टर खुराक का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है...”


पीठ ने बूस्टर शॉट्स का समर्थन करने वाले एक डॉक्टर के साथ बातचीत का हवाला दिया और कहा "यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है, जिस पर गौर करने की जरूरत है, हम दूसरी लहर जैसी स्थिति दोबारा नहीं चाहते हैं."


कोर्ट ने कहा- हम दूसरी लहर जैसी स्थिति दोबारा नहीं चाहते


पीठ ने कहा कि अमेरिका जैसे देश न केवल अनुमति दे रहे हैं बल्कि बूस्टर खुराक के इस्तेमाल की वकालत भी कर रहे हैं. अदालत ने कहा कि बूस्टर खुराक एक महंगा प्रस्ताव है, जो एक कारण हो सकता है कि उन पर विचार नहीं किया जा रहा है. लेकिन रूढ़िवादी होने के कारण हम दूसरी लहर जैसी स्थिति दोबारा नहीं चाहते हैं. इससे हम इन सभी टीकाकरणों का लाभ खो सकते हैं.


पीठ ने केंद्र सरकार को वैक्सीन की बूस्टर खुराक देने और इसे रोल आउट करने के प्रस्ताव की समय सीमा के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. वहीं सुनवाई के दौरान अदालत मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव ने कहा कि बड़ी संख्या में टीके बर्बाद हो जाएंगे क्योंकि वे समाप्ति की तारीख तक पहुंच रहे हैं. अदालत ने कहा कि विशेष रूप से वृद्धावस्था में आने वाले और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग चिंतित हैं कि उन्हें बूस्टर खुराक की आवश्यकता है या नहीं।. ऐसी भी खबरें हैं कि बड़ी संख्या में वैक्सीन की खुराक बिना उपयोग के पड़ी है और जिनकी समय-सीमा समाप्त हो जाएगी.


14 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई


सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि वह निर्देश लेंगे और हलफनामा दाखिल करेंगे. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 14 दिसंबर की तारीख तय की है. वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने केंद्र से एक योजना देने या बूस्टर खुराक पर निर्णय लेने को कहा है क्योंकि अधिकांश लोगों ने दोहरी खुराक ले ली है.


कोर्ट ने 18 साल से कम उम्र के लोगों को टीका लगाने की स्थिति भी जानने की मांग की..अहलूवालिया ने कहा कि टीकों के लिए मंजूरी दे दी गई है और ​​परीक्षण चल रहे हैं. पीठ कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान दाखिल की गई वकील राकेश मल्होत्रा ​​​​सहित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.


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