दिल्ली क्राइम ब्रांच ने फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट बनाने वाले गिरोह का किया पर्दाफाश, मजिस्ट्रेट समेत चार गिरफ्तार
Delhi Fake Certificate Racket: डीसीपी राकेश पावरिया ने बताया कि क्राइम ब्रांच की सेंट्रल टीम को फेक सर्टिफिकेट बनाने के गैंग के बारे में गुप्त सूचना मिलने के बाद जाल बिछाया और आरोपियों को दबोच लिया.
Delhi Fake Caste Certificates Gang News: दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने फर्जी एससी-एसटी और ओबीसी सर्टिफिकेट बनाने के एक बड़े मामले का खुलासा किया है. यह पूरा गोरखधंधा दिल्ली कैंट स्थित रेवेन्यू डिपार्टमेंट में बतौर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट कार्यरत एक अधिकारी की मिलीभगत से हो रहा था. इस मामले में पुलिस ने आरोपी मजिस्ट्रेट समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिन लोगों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है उनमें मजिस्ट्रेट नरेंद्र पाल सिंह सहित सौरभ गुप्ता, चेतन यादव और वारिस अली का नाम शामिल है. इनके कबसे से सैकड़ों जाली सर्टिफिकेट भी बरामद किए गए हैं.
डीसीपी राकेश पावरिया ने बताया कि क्राइम ब्रांच की सेंट्रल रेंज टीम को गुप्त सूत्रों से एक सूचना प्राप्त हुई थी, जिसमें उन्हें पता चला कि जालसाजों का एक गिरोह लोगों को जाली कास्ट सर्टिफिकेट बना कर देता है. इस सूचना पर काम करते हुए पुलिस टीम ने 13 मार्च को एक फर्जी आवेदक को जनरल कैटेगरी का था, उसे ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आरोपी के पास भेजा. जिससे 3500 रुपये लेकर रेवेन्यू डिपार्टमेंट की तरफ से उसे सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया. डिपार्टमेंट की वेबसाईट पर भी उसे अपलोड कर दिया गया.
20 मार्च को एक और फर्जी आवेदक को तीन हजार रुपये में जाली ओबीसी सर्टिफिकेट बना कर दिया गया. दोनों ही आवेदकों से आरोपी ने ऑनलाइन पेमेंट लिया था, जिसके आधार पर उसके खाते की जानकारी पुलिस ने हांसिल की और 9 मई को संगम विहार में छापेमारी कर उसे दबोच लिया. आरोपी की पहचान सौरभ के रूप में हुई है. उसके पास से पुलिस ने एक मोबाइल फोन बरामद किया, जिससे पुलिस को इस जालसाजी से जुड़े कई अहम सबूत मिले.
मजिस्ट्रेट की मदद से चल रहा था गोरखधंधा
पूछताछ में आरोपी सौरभ ने खुलासा किया कि जाली सर्टिफिकेट मजिस्ट्रेट ऑफिस से जारी किए जाते थे. इस मामले में पुलिस ने जालसाजी की धाराओं में मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान आरोपी के खुलासे के आधार पर पुलिस ने मजिस्ट्रेट ऑफिस में काम करने वाले चेतन, मजिस्ट्रेट के ड्राइवर वारिस और मजिस्ट्रेट नरेंद्र पाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया. आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने मजिस्ट्रेट के मोबाइल समेत 3 मोबाइल फोन, लैपटॉप, 7 हार्ड डिस्क, 4 स्लाइड स्टेट ड्राइव, पंपलेट, 1 डिजिटल सिग्नेचर और सैकड़ों कास्ट सर्टिफिकेट बरामद किए.
पूछताछ में पुलिस को पता चला कि आरोपी सौरभ 10वीं तक पढ़ा है. वह पहले सब्जी बेचने का काम करता था. वह इस साल जनवरी महीने में बागडोला के रहने वाले चेतन यादव के संपर्क में आया था. चेतन एक आउटसोर्स कर्मचारी है और दिल्ली कैंट कार्यालय में दिल्ली सरकार की हेल्प लाइन नंबर 1076 पर काम करता है. इन दोनों ने मजिस्ट्रेट के ड्राइवर वारिस के जरिए मजिस्ट्रेट से संपर्क कर जाली कास्ट सर्टिफिकेट जारी कर पैसा कमाने की योजना बनाई. आरोपी खुद आवेदक की ओर से प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन करता था. काम होने के बाद प्राप्त हुए पैसों को आपस में बांट लेते थे.
वारिस अली मंडोली एक्सटेंशन का रहने वाला है. 2017 से मार्च 2023 के दौरान उसने सीपीडब्ल्यूडी ऑफिस में डेटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम किया. जिसके बाद वह दिल्ली कैंट के मैजिस्ट्रेट नरेंद्र पाल के संपर्क में आया और उसके प्राइवेट ड्राइवर के रूप में काम करने लगा. आरोपी मजिस्ट्रेट नरेंद्र पाल सिंह 1991 में बतौर एलडीसी नियुक्त हुए थे. पिछले साल मार्च महीने में उन्हें प्रमोशन देकर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, दिल्ली कैंट, रेवेन्यू डिपार्टमेंट, दिल्ली सरकार के रूप में तैनात किया गया था.
कास्ट सर्टिफिकेट की पुलिस करवा रही जांच
इस मामले में पुलिस सभी आरोपियों को गिरफ्तर कर आगे की जांच में जुट गई है. साथ ही उक्त अवधि के दौरान डिपार्टमेंट की तरफ से जारी किए गए 111 कास्ट सर्टिफिकेट की जांच करवा रही है. ताकि यह पता चल सके कि उनमें कौन सा असली है और कौन सा फर्जी.
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