Delhi Crime News: दिल्ली में पिछले 10 सालों में कितना बढ़ा क्राइम? यहां पढ़ें पूरी रिपोर्ट
Delhi Crime: प्रजा फाउंडेशन की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में सामने आया कि पॉक्सो की धाराओं में दर्ज रेप के 98 फीसदी मामलों में अपराधी पीड़ित को न सिर्फ जानता था, बल्कि परिवार में शामिल भी था.
Delhi Crime: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में साल 2012 से 2021 तक पिछले 10 सालों में बड़े अपराधों की सूचना दर्ज कराने के मामले में 440 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. प्रजा फाउंडेशन की ओर से 'स्टेट ऑफ पुलिसिंग एंड लॉ एंड ऑर्डर इन दिल्ली' पर तैयार रिपोर्ट में मामलों की जांच के साथ-साथ दिल्ली में मुकदमे की सुनवाई के बारे में भी प्रकाश डाला गया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से 2021 के बीच चोरी के मामलों में 827 फीसदी का इजाफा हुआ है.
वहीं रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में झपटमारी मामलों में 552 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा छेड़छाड़ में 251 प्रतिशत, रेप में 194 प्रतिशत और अपहरण/अपहरण के पंजीकृत अपराधों में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2021 में कुल रेप के 41 प्रतिशत मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए थे. प्रजा फाउंडेशन की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में सामने आया कि पॉक्सो की धाराओं में दर्ज बलात्कार के 98 फीसदी मामलों में अपराधी पीड़ित को न सिर्फ जानता था, बल्कि परिवार में शामिल भी था. उसी साल यह देखा गया है कि कुल अपहरण और अपहरण पीड़ितों में से 91 प्रतिशत बच्चे थे, जबकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए सजा की दर 38 प्रतिशत और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए केवल 52 प्रतिशत थी.
मुकदमे के लिए लंबित हैं 99 प्रतिशत अपराध
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 तक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ 99 प्रतिशत अपराध मुकदमे के लिए लंबित हैं और इस हिसाब से ऐसे सभी मामलों में निर्णय लेने में 27 साल लगेंगे. प्रजा फाउंडेशन के सीईओ मिलिंद म्हस्के ने कहा कि हालांकि यह एक अच्छा संकेत है कि अधिक नागरिक अपराध की रिपोर्ट करने के लिए आगे आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि 2017 से 2021 तक मानव तस्करी के शिकार दिल्ली में 86 फीसदी 18 साल से कम उम्र के बच्चे थे. इसके अलावा, 2021 में मानव तस्करी के सभी पीड़ितों में से 89 प्रतिशत की तस्करी जबरन श्रम के लिए की गई थी.
2021-22 में पुलिस कर्मचारियों में 12 प्रतिशत थी रिक्ति
उन्होंने बताया कि 2021 में 56 प्रतिशत मामलों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच लंबित थी, जो 2017 में 58 प्रतिशत से मामूली रूप से कम हो गई. बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच में लंबित 2017 और 202 में 53 प्रतिशत पर स्थिर रहा है. प्रजा फाउंडेशन के सीईओ ने दिल्ली पुलिस बल में रिक्त पदों के कारण मामलों की जांच में देरी को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि 2021-22 में पुलिस कर्मचारियों में 12 प्रतिशत रिक्ति थी, जिसमें से सबसे अधिक रिक्ति अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (74 प्रतिशत) के पद के लिए थी. पुलिस निरीक्षक, उप-निरीक्षक और सहायक पुलिस निरीक्षक एक जांच के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वहीं 2020-21 में, इन पदों पर 13 प्रतिशत रिक्ति थी.
महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए लंबित मुकदमों में भी हुई बढ़ोतरी
न्यायपालिका के स्तर पर भी मुकदमे लंबित हैं. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2021 में आईपीसी के 88 प्रतिशत मामले सुनवाई के लिए लंबित थे, जबकि 96 प्रतिशत एसएलएल मामले सुनवाई के लिए लंबित थे. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए लंबित मुकदमों के अनुपात में वृद्धि हुई है. महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए लंबित मुकदमों के आंकड़े 2017 में 93 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 98 प्रतिशत हो गए, जबकि बच्चों के खिलाफ अपराधों के मुकदमे की लंबितता 2017 में 95 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 99 प्रतिशत हो गई.