Delhi Crime News: दिल्ली हाईकोर्ट का जज बन कर थाने पहुंचा शख्स, SHO से मांगे 5 लाख रुपये, जानें- फिर क्या हुआ?
Delhi News: नकली जज की पहचान नरेंद्र कुमार अग्रवाल के रूप में हुई है, जो आदर्श नगर का रहने वाला है. वह दिल्ली के फिल्मीस्तान क्षेत्र का मूल निवासी है और 11वीं क्लास तक पढ़ाई की है.
Delhi High Court Fake Judge: आपने कई ऐसे मामले सुने होंगे, जिसमें डरा-धमका या ब्लैकमेल कर लोगों से उगाही की गई हो. इस तरह के कई मामलों में पुलिस आरोपियों को सलाखों के पीछे तक पहुंचा चुकी है, लेकिन आज एक ऐसे चौंकाने वाले मामले के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के एसएचओ से ही 5 लाख के एक्सटॉर्शन मनी की मांग की गई. मामला आउटर नॉर्थ दिल्ली का है, जिसमें एक बुजुर्ग बहरूपिया खुद को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बता कर समयपुर बादली (Samaypur Badli) थाने पहुंचा.
वहां के एसएचओ से ही नौकरी जाने का डर दिखा कर 5 लाख रुपये की मांग कर दी. हालांकि, एसएचओ ने जज के विजिट की कोई आधिकारिक सूचना नहीं होने पर दिल्ली हाईकोर्ट से इसका सत्यपान किया तो पूरा मामला खुल गया और पुलिस ने बहरूपिये जज को गिरफ्तार कर लिया. डीसीपी देवेश कुमार महला ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया, "16 दिसंबर को समयपुर बादली सब डिवीजन के एसीपी अनुराग द्विवेदी को एक मोबाइल नंबर से व्हाट्सएप मैसेज आया कि वह हाईकोर्ट का सिटिंग जज है, जिसके आगे उसने अपना नाम लिखा और कहा मुझे तुरंत कॉल करें."
रिट याचिका के वेरिफिकेशन के लिए दौरा का दिया हवाला
उस नंबर पर जब एसीपी की ओर से कॉल की गई तो फोन रिसीव करने वाले ने बताया कि वह समयपुर बादली पुलिस थाने से संबंधित एक याचिका के सिलसिले में आज शाम 5:00 बजे थाने का दौरा करेगा. एसीपी ने इसकी सूचना एसएचओ समयपुर बादली को दे दी. बताए गए समय पर जब एसएचओ संजय कुमार अपने ऑफिस में थे, तभी 60 से 65 साल की आयु का एक बुजुर्ग टाटा नैनो कार में वहां पहुंचा और खुद को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बताया.
याचिका रद्द करने के लिए एसएचओ से मांगे 5 लाख
उसने बताया कि थाना क्षेत्र में चल रहे संगठित अपराध के संबंध में दायर एक रिट याचिका का सत्यापन करने के लिए वह आया है. उसने आगे बताया कि एक दिन पहले भी उसने एक बीट में तैनात हेड कॉन्स्टेबल पवन के साथ मामले को भी सुलझाने की कोशिश की थी, लेकिन उसने रिस्पॉन्ड नहीं किया. रिट याचिका को रद्द करने के लिए जज बनकर आए शख्स ने एसएचओ से 5 लाख रुपये भुगतान की बात कही. उसने कहा की अगर वो ऐसा नहीं करते हैं, तो उनकी नौकरी जा सकती है.
दिल्ली हाईकोर्ट से वेरिफिकेशन पर खुला मामला
इसके बाद एसएचओ समयपुर बादली को शख्स पर शक हुआ, क्योंकि उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के जज के थाने के दौरा को लेकर कोई भी आधिकारिक सूचना नहीं प्राप्त हुई थी. इस पर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से संपर्क किया और बताया कि इस तरह से एक शख्स आया है, तो तुरंत मामला खुल गया. इस नकली जज की पहचान नरेंद्र कुमार अग्रवाल के रूप में हुई है, जो आदर्श नगर का रहने वाला है. वह दिल्ली के फिल्मीस्तान क्षेत्र का मूल निवासी है और 11वीं क्लास तक पढ़ाई की है.
दर्ज मामलों में कोर्ट जाने के दौरान जाना जज की शक्तियों को
ये पहले अपने पिता के साथ ऑयल का बिजनेस करता था. इस पर एसेंशियल कोमोडिटी एक्ट के तहत 1980 में 2 मामले दर्ज किए गए थे. आरोपी ने दो शादियां की हैं. उसकी पहली पत्नी का 1995 में निधन हो गया, जिसके बाद 1996 में उसने एक कंप्यूटर ऑपरेटर से दोबारा शादी की, जो उसी के ऑफिस में काम करती थी. बाद में 2005 में इसने शेयर मार्केट में भी पैसा लगाया, जिसमें इसे काफी नुकसान हुआ. 2011 में उसकी वर्तमान पत्नी ने उसके खिलाफ दहेज प्रताड़ना और क्रूरता का मामला दर्ज कराया, जिसमें वो कई बार कोर्ट भी गया. वहां उसे जज की शक्ति के बारे में जाना.
पुलिस अधिकारियों को मैसेज कर मांगने लगा फेवर और पैसे
उसके बाद पिछले कुछ सालों में उसने खुद को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बताकर पुलिस अधिकारियों को फोन और मैसेज करना शुरू कर दिया. जज के नाम पर फेवर और पैसे मांगने लगा. पूछताछ के दौरान यह भी पता चला कि उसने दिल्ली हाईकोर्ट के जज के नाम पर पक्ष लेने के लिए कई पुलिस अधिकारियों को मैसेज किया था. इस मामले में पुलिस उसे गिरफ्तार कर आगे की जांच में जुट गई है.
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