Delhi Online Classes: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में बढ़ते हुए कोरोना (Coronavirus) के मामलों को देखते हुए 20 अप्रैल यानी आज डीडीएमए (DDMA) की बैठक करने जा रही है. इस बैठक में कोरोना के बढ़ते मामलों और पॉजिटिविटी रेट को देखते हुए आगे की रणनीति बनाई जाएगी. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में दिल्ली में मास्क को फिर से अनिवार्य करने पर चर्चा होगी.  इसके साथ ही पहले की तरह ही मास्क नहीं पहनने वालों से जुर्माना लिया जाएगा.  बता दे इससे पहले मास्क नहीं पहनने पर 2 हजार रुपए का जुर्माना था जिसे बाद में घटा कर 500 रुपए कर दिया गया था.

 

वहीं दिल्ली के स्कूलों में छात्रों के बीच कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए ऑनलाइन क्लास फिर से शुरू करने पर भी चर्चा हो सकती है. हालांकि इस बीच दिल्ली सरकार पहले की ही तरह स्कूल को बंद करने के पक्ष में नहीं है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी डीडीमए की होने वाली बैठक से पहले यह साफ किया है की सरकार ऑफलाइन क्लास के ही पक्ष में है.

 

स्कूल खोलने को लेकर क्या है पैरेंट्स की राय

देश में कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुए 2 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, पिछले 2 साल में स्कूल कॉलेज पूरी तरह नहीं खुले थे बच्चों को ऑनलाइन क्लास के जरिए ही पढ़ाया जा रहा था. इस बीच पैरेंट्स भी कोरोना के डर से अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे लेकिन धीरे धीरे जब कोरोना के मामलों में कमी आई तो देश भर में स्कूलों को खोल दिया गया और जीवन सामान्य पटरी पर लौटने लगा. लेकिन एक बार फिर कोरोना के मामलों में इजाफा होने लगा है, राजधानी दिल्ली में तो कोरोना की पॉजिटिविटी रेट 8 परसेंट तक पहुंच गई है, जिसे देखते हुए डीडीएमए बैठक करने वाला है, जहां एक ओर स्कूलों में बच्चे संक्रमित हो रहे हैं वहीं पैरेंट्स के मुताबिक स्कूल खुले रहने चाहिए क्योंकि ऑफलाइन क्लास में बच्चे सही ढंग से पढ़ाई कर पाते है और ऑनलाइन क्लास में पढ़ाई अच्छे से नहीं होती है.

 

ऑनलाइन क्लास में बच्चों का रूटीन खराब हो जाता है- पैरेंट्स

दिल्ली के प्राइवेट स्कूल पढ़ने वाली वंशिका की मां ने बताया की उनकी बेटी इस बार पांचवी क्लास में आई है, जब वह तीसरी क्लास में आई थी, तब देश में लॉक डाउन लग गया था और बीते 2 साल से वह ऑनलाइन क्लास के जरिए ही पढ़ाई कर रही है, लेकिन इससे उसकी पढ़ाई को काफी नुकसान हुआ है, इसके साथ ही उनकी बेटी को फोन चलाने की आदत भी ज्यादा हो गई है.  वंशिका की मां बताती हैं ऑनलाइन क्लास में बच्चों का रूटीन भी खराब हो जाता है ,क्योंकि वह बीच-बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं लेकिन स्कूल जाने से एक रूटीन बना रहता है और बच्चे अपनी पढ़ाई सही ढंग से कर पाते हैं. इसलिए वह चाहतीं हैं कि स्कूलों में कोरोना के नियमों को सख्त कर दिया जाए लेकिन स्कूल बंद न किए जाए.

 

स्कूलों को ऑफलाइन मोड में ही चलाया जाए- पैरेंट्स

वही नौवीं क्लास में पढ़ने वाले तनीश के पिता से जब हमने बात को तो उन्होंने बताया की उनके बेटे को पहली डोज की वैक्सीन अप्रैल में लग गई है, और अब वह नौवीं क्लास में आ गया है, अगले साल उसके दसवीं के परीक्षा होंगे ऐसे में वो चाहते हैं की स्कूलों को ऑफलाइन मोड में ही चलाया जाए, क्योंकि बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास में गणित जैसे सब्जेक्ट को समझना काफी मुश्किल हो जाता है.

 

आखिर में जब एबीपी न्यूज ने एक ऐसे परिवार से बात की जिनके 3 बच्चें स्कूल जाते है, सबसे बड़ी लड़की उजाला दसवीं की छात्रा है और सबसे छोटी स्नेहा का अभी पहली क्लास में एडमिशन हुआ है तो उनके पैरेंट्स ने बताया की सबसे छोटी बेटी को पिछले 2 साल से स्कूल नहीं भेज पाए, 5 साल की उम्र में उसने पहली बार स्कूल देखा है जबकि उनकी दोनो बेटियों ने 3 साल से स्कूल जाना शुरू कर दिया था. ऐसे में वो चाहते है स्कूल ऑनलाइन नहीं बल्कि ऑफलाइन मोड में जारी रहे जिससे बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से चलती रहे क्योंकि कम उम्र के बच्चे ऑनलाइन क्लास में गंभीरता से नहीं पढ़ पाते है.

 

क्या कहते है एक्सपर्ट

वहीं इस मामले में एम्स के वैक्सीनेशन इंचार्ज डॉ संजय राय ने बताया की स्कूलों को बंद करना ठीक विकल्प नहीं होगा, क्योंकि आईसीएमआर की सीरो सर्वे के मुताबिक दिल्ली के 90 फीसदी बच्चें घर बैठे हुए भी संक्रमित हो चुके है, ऐसे में बच्चों को घर बिठाने से उनके मानसिक विकास को भी नुकसान होगा इसलिए कोरोना नियमों के साथ स्कूल में पढ़ाई जारी रहनी चाहिए.

 

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