Delhi: दिल्ली सरकार ने पिछले साल अकेल गाड़ी चलाते हुए भी मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया था, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार इस फैलसे निरर्थक और बेतुका (Absurd) करार दिया है. इस पर सुनवाई के दौरान, जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, "यह दिल्ली सरकार का फैसला है, आप इसे वापस क्यों नहीं लेते. यह वास्तव में बेतुका है कि आप अपने में कार में बैठे हों आपको मास्क पहनना पड़ेगा? यह अभी भी प्रचलित है?
दिल्ली सरकार के वकील ने बचाव के पेश की यह दलील
इस केस पर सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी के सलाहकर (Counsel) ने एकल पीठ के एक हवाला दिया था. इस पर हाई कोर्ट की बेंच ने कहा, "कोई चढ़ी हुई खिड़कियों वाली कार में बैठा हो और वह दो हजार रूपये का चालां भर रहा हो, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार के वकील ने पीठ को 2021 के हाई कोर्ट के ही एक फैसले का हवाला देते हुए बताया कि, निजी कार में अकेले ड्राइविंग करते समय मास्क नहीं पहनने पर, दिल्ली सरकार के जरिये चालान लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले पर हस्ताक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
इस पर बेंच ने कहा कि, पहले स्थिति अलग थी अब महामारी लगभग ख़तम हो चुकी है. अदालत ने इस पर आगे कहा कि, "यह फैसला दिल्ली सरकार ने पारित किया था, जिसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था.
दिल्ली सरकार के तरफ से पेश हुए सीनियर वकील राहुल मेहरा ने कहा, "अगर दिल्ली सरकार या केंद्र की तरफ से बनाया गया यह आदेश बुरा था, पीठ को इसमें हस्ताक्षेप करने के लिए कहा गया था तो इस पर विचार्कारने की जरुरत थी. इस पर बेंच ने कहा, "यह आदेश उनके समक्ष चुनौती में नहीं था. गौरतलब है कि, दिल्ली हाई कोर्ट शहर में कोविड-19 के प्रबंधन को लेकर वकील राकेश मल्होत्रा के जरिये पेश एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. पीठ ने इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा, अगर यह आदेश खराब है, तो आप इसे वापस कुओं नहीं लेते.
गाड़ी में मास्क पहनने को लेकर 2021 में एकल पीठ ने मास्क को लेकर यह कहा था
एकल पीठ का मास्क पर यह फैसला 2021 में आया था, जब वकीलों की तरफ से एक याचिका पेश की गयी थी. इस याचिका में अकेले ड्राइविंग करते समय मास्क न पहनने पर "चालान" काटने को चुनौती दी थी. इस पर कोर्ट ने इन याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा था कि, अकेले ड्राइविंग करते समय मास्क पहनना अनिवार्य है, क्योंकि यह संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, केन्द्रीय और परिवार कल्याण मंत्रालय ने उस समय अदालत को बताया था कि, "उसने कोई निर्देश जारी नहीं किया था, जिससे लोगों को कार में मास्क पहनने के लिए कहा जाये. विशेष रूप से जब वह अकेले हों और स्वास्थ्य राज्य का विषय था, दिल्ली सरकार को इस पर फैसला करना था."
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