Rajasthan Female Doctor Suicide Case: राजस्थान के दौसा में महिला डॉक्टर की आत्महत्या का मामला दिल्ली तक पहुंच गया है. दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के रेजिडेंट डॉक्टरों ने बुधवार को अस्पताल में काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज कराया. मामला राजस्थान के एक निजी अस्पताल का है, जिसमें की एक गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर अर्चना शर्मा ने एक प्रसूता की मौत के बाद उसके परिजनों द्वारा प्रताड़ित किए जाने को लेकर आत्महत्या कर ली. जिसको लेकर अब दिल्ली के एम्स अस्पताल के डॉक्टरों ने मामले में जल्द से जल्द आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने को लेकर अपना विरोध जताया है.
मामले में कार्रवाई की मांग
एम्स अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी के दौरान काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया. इतना ही नहीं एम्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से मामले में केंद्र सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय और राजस्थान सरकार से मामले में जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की गई है.
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राजस्थान के मुख्यमंत्री ने किया ट्वीट
इस पूरी घटना को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि दौसा में डॉक्टर अर्चना की आत्महत्या की घटना बेहद ही दुखद है. हम सभी डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं. हर डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करता है, परन्तु कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डॉक्टर पर आरोप लगाना न्यायोचित नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर इस तरह डॉक्टरों को डराया जाएगा तो वे निश्चिन्त होकर अपना काम कैसे कर पाएंगे?
सुसाइड नोट में कही ये बात
इस मामले में मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान के दौसा के लालसोट कस्बे में मंगलवार को एक प्राइवेट अस्पताल में गर्भवती महिला की प्रसव के बाद मौत हो गई थी. जिसके बाद मृतका के परिजनों की शिकायत पर इस मामले में लापरवाही का मामला दर्ज कराया गया. जिसको लेकर डॉक्टर ने इसको लेकर सुसाइड कर ली. इतना ही नहीं सुसाइड के दौरान पीड़ित डॉक्टर ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है.
इस नोट में उसने यह कहा है कि उसे मृतका के परिजन प्रताड़ित कर रहे हैं जबकि प्रसूता की मौत रक्तस्राव के चलते हुई है जो की डिलीवरी के बाद होने वाली एक कॉम्प्लिकेशन है. इसमें डॉक्टर की कोई गलती नहीं होती है. डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में खुद को बेगुनाह बताया है. उसने कहा है कि उसके मरने के बाद उसके पति और बच्चों को परेशान ना किया जाए.
मृतका के पति ने कही ये बात
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मृतक डॉ. अर्चना शर्मा के पति डॉक्टर सुनीत उपाध्याय जोकि एक साइकाइट्रिक हैं. उनका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें उनका कहना है कि सोमवार को आनंद अस्पताल में आशा बेरवा नाम की एक महिला की डिलीवरी हुई थी. जिसकी हालत पहले से ही काफी कॉम्प्लिकेटेड थी. महिला को पहले दौसा से लालसोट रेफर किया गया. जिसके बाद जयपुर और फिर जयपुर से दोबारा लालसोट जहां पर आनंद अस्पताल में महिला की डिलीवरी हुई. इससे पहले भी महिला ने इसी अस्पताल में दो जुड़वा बच्चों को सिजेरियन सर्जरी से जन्म दिया था.
बीजेपी नेता ने मुआबजा दिलाने की कही बात
जिसके बाद महिला की हालत खराब होने लगी. महिला को दो यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया. करीब 2 घंटे तक डॉक्टरों ने महिला को बचाने की कोशिश की और यह सभी हालात महिला के परिजनों को भी पता थे. उन्होंने भी डॉक्टरों को महिला को बचाने के लिए की जा रही पूरी कोशिश को करते हुए देखा. लेकिन प्रसूता को बचा नहीं पाए. जिसके बाद परिजन एंबुलेंस के जरिए महिला का शव घर लेकर चले गए. लेकिन जब वह अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे तभी बीजेपी के कुछ नेता उनके पास आए और उन्होंने कहा कि उन्हें अच्छा मुआवजा दिलवाएगे. इसके लिए वह महिला का शव अस्पताल के बाहर लेकर आ गए और करीब 200 लोगों की भीड़ इकट्ठा कर प्रदर्शन करने लगे.
डॉक्टर सुनीत ने कही ये बात
मृतक डॉक्टर के पति का कहना है कि इस मामले में बीजेपी नेता शिव शंकर बलिया जोशी, हरकेश मटलाना, पूर्व विधायक जितेंद्र गोठवाल, बीजेपी सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी आ गए. डॉक्टर सुनीत ने बताया कि बीजेपी नेता शिवशंकर बलिया जोशी जो पहले भी आनंद हॉस्पिटल से कई बार फिरौती को लेकर कोशिश कर चुके हैं. जिसको लेकर अस्पताल ने उसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी, लेकिन डॉक्टर किरोडी लाल मीणा के चलते उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती. वह इलाके का हिस्ट्रीशीटर है और कई अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहता है.
नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग
मृतक डॉक्टर के पति ने मांग की है कि इस तरीके के नेताओं के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. आए दिन इस तरीके की घटनाएं देखने को मिलती हैं. मृतक डॉक्टर के पति ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन के बाद राजस्थान के कई पत्रकारों ने एकतरफा न्यूज़ छापी. जिसमें की उनकी पत्नी के खिलाफ ही बातें कही गई. पुलिस ने भी डॉक्टर के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कर लिया. जिसको लेकर उनकी पत्नी काफी डर गई और उसने बिना किसी को बताए रात 11:30 बजे इसी डर के चलते खुद को फांसी लगा ली.
मृतका के पति का कहना है कि आए दिन अस्पतालों के बाहर शवों को रखकर प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें डॉक्टर की कोई गलती नहीं होती है और उन्हें मृतक के परिजन लगातार पीड़ित करते हैं. जिसमें की यह नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
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