Manish Sisodia Arrest: तीन प्वाइंट में समझिये मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की वजह, ये गलतियां बन गईं मुसीबत की वजह
Manish Sisodia CBI Remand: सूत्रों के अनुसार जब 14 जनवरी को सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के दफ्तर को सीज कर दिया था इसमें कई ऐसे फाइल थे जिनको डिलीट किया गया था.
Manish Sisodia Arrested: दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Delhi Deputy CM AAP Leader Manish Sisodia) को 5 दिन की सीबीआई (CBI) रिमांड पर भेज दिया गया है. आम आदमी पार्टी इसे लेकर पूरी तरह बीजेपी (BJP) पर हमलावर है, लेकिन मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के पीछे कई ऐसे कारण हैं जो इस समय दिल्ली से लेकर पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि डिप्टी सीएम के बेहद करीबियों का बयान भी उनकी गिरफ्तारी की बड़ी वजह बन गई. 6 महीने पहले 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सहित 1 दर्जन से अधिक कुल 15 लोगों पर नई आबकारी नीति में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया था, जिसके बाद सीबीआई ने मनीष सिसोदिया सहित अन्य सदस्यों के आवास, दफ्तर और अन्य जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी और तलाश की. इस दौरान डिप्टी सीएम के कंप्यूटर सहित अन्य डिवाइस और कुछ कागजात को भी जब्त कर लिया गया .
डिप्टी सीएम के करीबी ही बन गए विलन
1- ओनली मच लाउडर के सीईओ विजय नायर आम आदमी पार्टी से भी जुड़े रहे. वे पार्टी की योजनाओं से लेकर कैंपेन, पार्टी के लिए फंड और सोशल मीडिया हैंडल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे. उनको शराब ठेके के लाइसेंस आवंटित करने में अनियमितता को लेकर सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया. वे मनीष सिसोदिया के बेहद खास माने जाते थे. नायर की गिरफ्तारी के बाद ही माना जाने लगा कि मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.
2- दिनेश अरोड़ा और अमित अरोड़ा दोनों उद्योगपति हैं जो एक निजी कंपनी के निदेशक के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे थे. दोनों मनीष सिसोदिया के बेहद करीबी माने जाते हैं. शराब ठेके के लिए लाइसेंसधारियों द्वारा अनुचित धनराशि प्राप्त कर अधिकारियों को भ्रमित करने का आरोप लगा. इसके अलावा ये केस में सरकारी गवाह बन गए जो मनीष सिसोदिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी.
3- अर्जुन पांडे और समीर महेद्रु दोनों विजय नायर के करीबी माने जाते थे. इनपर गैर कानूनी ढंग से करोड़ों रुपए के लेनदेन का आरोप लगा है. इस आधार पर आबकारी नीति मामले से इनका कनेक्शन देखा गया जो मनीष सिसोदिया के गिरफ्तारी की भी बड़ी वजह बनी.
सिसोदिया की यह गलतियां बन गईं बड़ी मुसीबत-
सिस्टम से फाइल को किया डिलीट
सूत्रों के अनुसार जब 14 जनवरी को सीबीआई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के दफ्तर को सीज कर दिया था इसमें कई ऐसे फाइल थे जिनको डिलीट किया गया था. फॉरेंसिक टीम की मदद से उन्हें रीट्राइव किया गया. व्हाट्सएप के माध्यम से मनीष सिसोदिया द्वारा सेक्रेटरी से कुछ फाइल प्राप्त किया गया था जिसे डिलीट कर दिया गया था. यह बात सबसे ज्यादा मनीष सिसोदिया को सवालों के घेरे में खड़ा कर रही है कि सिसोदिया द्वारा सबूत से छेड़छाड़ की गयी है .
डिप्टी सीएम ने नहीं दिया सवालों का जवाब
सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के सामने कई सबूत और सवाल रखे जिनके आधार पर उनसे कई चरणों में लगातार पूछताछ की जा रही थी, लेकिन मनीष सिसोदिया ने सवालों का जवाब नहीं दिया. इसके साथ ही सूत्रों का यह भी कहना है कि सीबीआई से पूछताछ में मनीष सिसोदिया सहयोग नहीं कर रहे थे. दिल्ली एक्साइज पॉलिसी तैयार करने में मनीष सिसोदिया ने सबसे अहम भूमिका निभाई थी. कई नए प्रावधान जो संदेह के घेरे में रहे उनको इसमें जोड़ा गया था, लेकिन जब इसको लेकर सीबीआई ने सीधे मनीष सिसोदिया से सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि मुझे नहीं पता.
फोन नष्ट करने का भी है आरोप
शराब घोटाले मामले को लेकर मनीष सिसोदिया से पहले भी पूछताछ हुई है. जांच के दौरान मनीष सिसोदिया ने अपनी नजदीकियों को फोन से कई कॉल किए हैं और 3 फोन को भी बदला और कई फोन सेट को नष्ट भी किया गया. इसके अलावा शराब घोटाला मामले में फंसे अन्य आरोपी द्वारा भी फोन सेट नष्ट करने और सबूतों से छेड़छाड़ करने की बातें सामने आईं.