DMS Milk Crisis: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में डीएमएस या दिल्ली मिल्क स्कीम के 490 से ज्यादा बूथों पर 2 मई यानी आज से 6 मई तक दूध बिल्कुल नहीं मिलेगा. दरअसल वजह दूध के लिए मिल्क प्रॉडक्शन समितियों और पोषक तत्वों के लिए निजी कंपनियों से करार में देरी होने की वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है. गौरतलब है कि संस्था पहले भी कई मुश्किलों में फंस चुकी है लेकिन ऐसी स्थिति कभी उत्पन्न नहीं हुई है जब डीएमएस के बूथों पर दूध बिल्कुल नहीं बिकेगा.
डीएमएस के 1.60 लीटर दूध की दिल्ली-एनसीआर में बिक्री होती है
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में वर्तमान में डीएमएस के तकरीबन 1.60 लाख लीटर दूध की बिक्री होती है. डीएमस के दूध के ग्राहकों में एम्स और संसद भवन की कैंटीन भी शामिल है. गौरतलब है कि डीएमएस दिल्ली में दुग्ध वितरण की सबसे पुरानी व्यवस्था है.
डीएमएस के महाप्रबंधक द्वारा जारी सर्कुलर में क्या कहा गया है?
वहीं मौजूदा स्थिति को लेकर डीएमएस के महाप्रबंधक चिन्मोयजीत सेन ने 30 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर के मुताबिक दिल्ली में डीएमएस के 490 बूथों पर 2 मई से 6 मई तक दूध की बिल्कुल भी बिक्री नहीं होगी. सर्कुलर में कारण बताते हुए कहा गया है कि कच्चा माल, एसएमपी और सफेद मक्खन की कमी की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. वहीं लोगों का कहना है कि डीएमएस के दूध की किल्लत कुछ दिनों से बनी हुई है. रविवार को तो ज्यादातक बूथों पर दूध नहीं पहुंचा.
बूथ संचालक और कर्मचारियों के भविष्य पर संकट
वहीं डीएमएस के दूध को लेकर हुई किल्लत की वजह से बूथ संचालक और एक हजार से ज्यादा कर्मी अपने भविष्य को लेकर खासे परेशान हैं. बता दें कि डीएमएस का संचालन कृषि मंत्रालय के तहत कृषि एवं कृषि कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है. दिल्लीवासियों के लिए डीएमस दूध व्यवस्था की शुरुआत 1959 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के द्वारा की गई थी.
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