Delhi News: क्या पूर्वानुमान प्रणालियों से वायु प्रदूषण कम करने में मिली मदद? CEEW की रिपोर्ट में सामने आई ये बात
Delhi Pollution News: क्या पूर्वानुमान प्रणालियां गंभीर वायु प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित हैं? सीईईडब्ल्यू की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि दिल्ली में काफी सहायता मिली.
Delhi Pollution News: एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि पूर्वानुमान प्रणालियां दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित हुई हैं. राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण पर किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वानुमान प्रणालियों की मदद से पिछली सर्दी के मौसम में दिल्ली में अत्यधिक गंभीर वायु प्रदूषण वाले दिनों में कमी लाने में काफी सहायता मिली. इन अनुमानों के आधार पर बिजली संयंत्रों के संचालन, निर्माण गतिविधियों और ट्रकों की आवाजाही पर रोक लगाने जैसे अल्पकालिक एवं आपातकालीन उपायों को अपनाया गया था. काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) की आज जारी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है.
पूर्वानुमान प्रणालियां क्या वायु प्रदूषण कम करने में हैं मददगार?
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी सर्दी के दौरान उच्च वायु प्रदूषण वाले दिनों में अतिरिक्त कमी लाने के लिए पूर्वानुमान प्रणालियों को इसके प्रभाव के स्तरों आदि के बारे में और ज्यादा सटीक आकलन उपलब्ध कराने की जरूरत होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) को लागू करने की व्यवस्था निश्चित तौर पर पूर्वानुमानों से मिले हल्के प्रदूषण स्रोतों पर आधारित होनी चाहिए और उसी के अनुरूप समय तय होना चाहिए.
यह कदम विभिन्न गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए अस्थायी आपात निर्देशों की जरूरत को समाप्त कर देगा.’’ सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में दावा किया गया है कि पिछली सर्दी में दिल्ली के वायु प्रदूषण का 64 प्रतिशत हिस्सा इसकी सीमाओं के बाहर से आया था.
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर की आई रिपोर्ट
कहा गया है कि प्रदूषण के बाहरी स्रोतों में सीमावर्ती राज्यों में सर्दी से बचाव और खाना पकाने जैसी जरूरतों के लिए कृषि अवशेषों और अन्य बायोमास (कोयला, लकड़ी इत्यादि) को जलाना शामिल था. सीईईडब्ल्यू की कार्यक्रम प्रमुख तनुश्री गांगुली ने कहा, “हमारे अध्ययन में पाया गया है कि पिछले साल जिस अवधि में फसल अवशेषों को जलाया गया था, वह दिल्ली में सर्दी का सर्वाधिक प्रदूषण वाला समय नहीं था जबकि 15 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच का 30-दिनों का समय सर्वाधिक प्रदूषण वाला चरण रहा.’’
अध्ययन में आगे कहा गया है कि दिल्ली में सर्दी के दौरान लगभग 75 प्रतिशत दिनों में हवा की गुणवत्ता गिरकर ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ स्तरों तक पहुंच गई. हालांकि, 2021 की पराली जलाने की अवधि (15 अक्टूबर से 15 नवंबर) के दौरान पड़ोसी राज्यों में ऐसी घटनाएं बढ़ने के बावजूद दिल्ली में पीएम2.5 का स्तर पिछले साल से ज्यादा नहीं था. ऐसा मौसम की अनुकूल परिस्थितियों के कारण हुआ.