Janmashtami 2022: दिल्ली के इस्कॉन मंदिर में भगवान को अर्पित की जाएगी 100 किलो तुलसी, जानें क्या है इसकी पौराणिक मान्यता
Janmashtami: पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है, भगवान को जब तक तुलसी अर्पित नहीं की जाती है तबतक उनके मस्तिष्क में दर्द रहता है, तुलसी अर्पित हो जाने के बाद वे संतुष्ट हो जाते हैं.
Delhi News: जन्माष्टमी यानि भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव (Janmashtami 2022) जिसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. जिस प्रकार हम अपने परिवार या घर में किसी के जन्मदिन पर जो तैयारियां और जो उत्सव आयोजन करते हैं. ठीक उसी प्रकार भगवान कृष्ण के जन्मदिन को लेकर श्रद्धालु खूब तैयारियां करते हैं. भगवान कृष्ण के पसंदीदा व्यंजन, वस्त्र, फूल आदि तैयार किए जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है और भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं. इसीलिए हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण की पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी गई है.
100 किलो तुलसी अर्पित करने की तैयारी
कहा जाता है कि चाहे भगवान को 56 भोग चढ़ाई जाए लेकिन यदि एक तुलसी का पत्ता उन्हें अर्पित नहीं किया गया तो वह भोग अधूरा है. उनकी पूजा अधूरी है. इसीलिए हर जगह भगवान श्री कृष्ण को तुलसी जरूर अर्पित की जाती है. इसी कड़ी में दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित इस्कॉन मंदिर में भी जन्माष्टमी के मौके पर भगवान को तुलसी अर्पित करने की तैयारियां की जा रही है. इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालु जन्माष्टमी के दिन भगवान को 100 किलो तुलसी अर्पित करने की तैयारी कर रहे हैं. जिसके लिए कोलकाता से तुलसी मंगाई गई है.
श्रद्धालु ने तुलसी को लेकर क्या बताया
इस्कॉन मंदिर में तुलसी के पौधे से पत्ते अलग कर रही श्रद्धालु रमा ने एबीपी न्यूज को बताया, तुलसी जिसे वृंदा महारानी, तुलसी महारानी कहा जाता है और यह भगवान कृष्ण को सबसे ज्यादा प्रिय है, इसीलिए तुलसी को अर्पित करने के लिए इसके पत्ते अलग किए जा रहे हैं और फिर इसे अच्छी तरीके से धोकर साफ कर अभिमंत्रित करने के बाद भगवान श्री कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन अर्पित किया जाएगा.
तुलसी अर्पित को लेकर पौराणिक मान्यता
श्रद्धालुओं ने बताया कि इस तुलसी को कोलकाता से मंगाया गया है और वहां से प्लेन के जरिए यह दिल्ली पहुंची है. यहां पर तुलसी को अच्छे से तैयार कर जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाएगा. भगवान श्रीकृष्ण जिनका एक रूप शालिग्राम भी है और इस रूप में भगवान को तुलसी अर्पित की जाती है. मान्यता है कि शालिग्राम के ऊपर तुलसी का पत्ता अर्पण करने के बाद भगवान को संतुष्टि मिलती है. पौराणिक मान्यताओं में यह कहा गया है कि भगवान को जब तक तुलसी अर्पित नहीं की जाती है तबतक उनके मस्तिष्क में दर्द रहता है और तुलसी अर्पित हो जाने के बाद वह संतुष्ट हो जाते हैं. इसीलिए भगवान श्री कृष्ण को उनके सभी रूपों में तुलसी अवश्य अर्पित की जाती है.
जन्माष्टमी पर लगेगा 1008 तरीके का भोग
बता दें कि हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है. अनेकों व्रत, धर्म, कथाओं में तुलसी का महत्व बताया गया है. तुलसी जो वैज्ञानिक, धार्मिक और ज्योतिष के आधार पर बेहद महत्वपूर्ण हैं. इसी कड़ी में जन्माष्टमी के मौके पर इस्कॉन मंदिर में भगवान श्री कृष्ण को 1008 तरीके के भोग लगाने के साथ-साथ 100 किलो तुलसी भी अर्पित की जाएगी जिसके लिए तैयारियां की जा रही है.
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