Delhi News: राजधानी दिल्ली की आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार अपने कार्यकाल की उपलब्धियों में बड़े गर्व के साथ किसी काम का उल्लेख करती है, तो उनमें दिल्ली में किये गए शिक्षा व्यवस्था की चर्चा सबसे पहले नम्बर पर होती है. केजरीवाल सरकार, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को विश्व स्तरीय शिक्षा व्यवस्था मुहैया कराने का दावा करती है जबकि हकीकत में दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणाम साल दर साल गिरते जा रहे हैं. पिछले दस साल के परीक्षा परिणामों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो इसमें 13.61 प्रतिशत की गिरावट आयी है. 2013 में सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम 99.45 प्रतिशत था, जो साल 2023 में घटकर 85.84 प्रतिशत रह गया है.


वहीं सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में साल 2023 में देश का औसत पास प्रतिशत 93.12 फीसदी रहा. वहीं, दिल्ली रीजन में इस साल छात्रों के पास होने का औसत प्रतिशत 89.24 फीसदी रहा और अगर बात करें दिल्ली के सरकारी स्कूलों की, तो इनका औसत पास प्रतिशत 85.84 फीसदी रहा है. शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कई साल से दिल्ली के 80 प्रतिशत स्कूल बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं. स्कूलों में छात्र और शिक्षकों के अनुपात में कमी आई है. दावा ये भी है कि दिल्ली सरकार ने बोर्ड परीक्षा में बेहतर परिणाम दिखाने की मंशा से 5 साल में 9 वीं व 11 वीं के 4 लाख 93 हजार 607 छात्रों को फेल किया है.


आठ साल में बच्चों की बुनियाद नहीं हुई मजबूत


जीएसटीए के महासचिव अजयवीर यादव का कहना है कि पिछले आठ साल में दिल्ली सरकार छात्रों की बुनियाद मजबूत नहीं कर पाई है, तो ऐसे में शिक्षा के स्तर में गिरावट आना लाजमी है. सरकार द्वारा संचालित पाठ्यक्रम ईएमसी, हेप्पिनेस, देशभक्ति जैसी योजनाओं के कारण मुख्य विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाई. इससे शुरू के तीन पीरियड खराब हो जाते हैं, जो छात्रों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.


वहीं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार का कहना है कि, केजरीवाल सरकार का शिक्षा मॉडल विज्ञापन और झूठे दावों पर टिका है. सीएम ने स्वार्थ के लिए स्कूली बच्चों को भी दांव पर लगा दिया है. दिवंगत पूर्व सीएम शीला दीक्षित के समय यानी साल 2013 में दिल्ली के सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम 99.45 प्रतिशत था. जब से आप की सरकार आई है, शिक्षा स्तर में लगातार गिरावट आ रही है.


नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि 10 वीं में तो स्थिति बहुत खराब है. नतीजों के लिए सीबीएसई ने देश को 16 क्षेत्र में बांटा है. दिल्ली का स्थान 13 वां और 15 वां है. 13वें स्थान पर पश्चिमी दिल्ली और 15 वें स्थान पर पूर्वी दिल्ली रही है। पिछले साल पूर्वी दिल्ली 14 वें स्थान पर थी, इस बार आखिरी से एक स्थान पहले यानी 15 वें स्थान पर आ गई है.


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