Delhi Election: मटिया महल विधानसभा सीट का बेहद दिचलस्प है इतिहास, जानें यहां का सियासी समीकरण
Delhi Assembly Election 2025: मुस्लिम बहुल मटिया महल विधानसभा सीट शोएब इकबाल के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. आम आदमी पार्टी ने पिता का टिकट काटकर बेटे को चुनावी मैदान में उतारा है.
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Matia Mahal Assembly Constituency: दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबकी नजर मुस्लिम बहुल सीटों पर है. मुस्लिम बहुल सीटों में एक मटिया महल भी है. पुरानी दिल्ली की मटिया महल विधानसभा सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प है. तकरीबन 60 फीसद मुस्लिम वोटर्स उम्मीदावर चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं. इस सीट पर अलग-अलग दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले शोएब इकबाल को पांच बार जीत मिली है. कहा जाता है कि शोएब इकबाल का नाम और चेहरा चलता है. हालांकि एक बार आम आदमी पार्टी की लहर में हार का भी सामना करना पड़ा है. इस बार शोएब इकबाल को आप ने टिकट दिया था.
कुछ दिनों बाद पार्टी ने पिता की जगह बेटे को लड़ाने का फैसला किया. दिल्ली के पूर्व डिप्टी मेयर रहे आले मुहम्मद इकबाल को मटिया महल से आप ने चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने असीम अहमद खान को उम्मीदवार बनाया है. असीम अहमद साल 2015 में मटिया महल से आप के विधायक रह चुके हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी शोएब इकबाल को हराया था. मटिया महल के दंगल में बीजेपी ने दीप्ति इंदौरा को उतारा है. इस बार पार्टी की घोषणाओं के सहारे प्रत्याशी जनता तक पहुंच रहे हैं.
रोचक है मटिया महल विधानसभा सीट का इतिहास
मटिया महल इलाके में अलग से चुनावी वादे नहीं किए जा रहे हैं. वोटर्स मटिया महल इलाके का विकास चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हर चुनाव में विकास की उम्मीद पैदा होती है. होटल चलाने वाले हाजी मोहम्मद ने बताया कि उम्मीद किसी से नहीं है. प्रत्याशी जीतने के बाद काम नहीं करते. जनता को सिर्फ रोना पड़ता है. दुकानदारों ने ग्राहकों के लिए भी सुविधा की मांग की. किसी एक पार्टी के पक्ष में लोग खुलकर सामने नहीं आए. उन्होंने कहा कि जिसकी बात में जितना दम नजर आएगा उसे ही वोट मिलेगा.
मटिया महल विधानसभा सीट पर 1972 में एनसीओ से सिकंदर बख्त, 1977 में जेएनपी से बेगम खुर्शीद किदवई, 1983 में बेगम खुर्शीद किदवई, 1993 और 1998 में जेडी से शोएब इकबाल विधायक बने. 2003 का विधानसभा चुनाव भी शोएब इकबाल ने जेडीएस से जीता. 2008 में लोजपा के टिकट पर शोएब इकबाल विधायक बने. 2013 में जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़कर लगातार पांचवीं बार शोएब इकबाल ने जीत दर्ज की. 2015 में आम आदमी पार्टी की लहर थी. ऐसे में शोएब इकबाल का जादू मटिया महल सीट पर नहीं चला.
पिता की जगह AAP ने बेटे को बनाया उम्मीदवार
पहली बार उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था. 2015 में आम आदमी पार्टी ने असीम अहमद खान को दंगल में उतारा. अरविंद केजरीवाल का इस सीट पर जादू चल गया. असीम अहमद खान पहली बार मटिया महल से विधायक चुने गए. 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले शोएब इकबाल ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा. शोएब इकबाल और आम आदमी पार्टी दोनों ही फैक्टर काम कर गए. उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल कर छठी बार चुनाव जीत लिया. साल 2025 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने शोएब इकबाल पर दांव लगाया था. टिकट मिलने के कुछ दिन बाद खबर आई कि अब चुनाव शोएब इकबाल की जगह आले मुहम्मद इक़बाल लड़ेंगे.
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