Delhi Environment Committee EDMC Scam: एक तरफ राजधानी दिल्ली (Delhi) में तीनों निगमों को एक करने की कवायद जारी है वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और बीजेपी के बीच निगम को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है. इसी कड़ी में अब दिल्ली सरकार की पर्यावरण समिति (Delhi Environment Committee) ने ईस्ट एमसीडी (EDMC) पर कूड़े के निस्तारण को लेकर करोड़ों के घोटाले का आरोप लगाया है. पर्यावरण समिति की अध्यक्ष और आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी (Atishi) का कहना है ईडीएमसी ने डि-सेंट्रेलाइज्ड री-साइक्लिंग प्लांट का टेंडर एक प्राइवेट कंपनी को दिया था, जिसका सारा पैसा बीजेपी हड़प गई है. इसे लेकर जब पर्यावरण समिति ने सवाल उठाया तो बीजेपी शासित एमसीडी के पास कोई जवाब नहीं था, उल्टा पूर्वी दिल्ली के विधायकों से प्लांट के लिए पैसों की मांग की जा रही है. दिल्ली सरकार से 1260 करोड़ का फंड और 1940 करोड़ का लोन लेने के बावजूद बीजेपी के पास प्लांट के लिए पैसा नहीं है, उन्होने मांग की है कि बीजेपी जवाब दे कि 1260 करोड़ का फंड और 1940 करोड़ का लोन का पैसा कहां गया.
दिल्ली में हैं कूड़े के तीन बड़े-बड़े पहाड़
आतिशी ने कहा कि पिछले 15 सालों से दिल्ली के तीनों नगर निगमों में बीजेपी की सरकार है, दिल्ली की साफ-सफाई और कूड़े का प्रबंधन नगर निगमों की मुख्य जिम्मदारी है. एमसीडी एक्ट कूड़े के प्रबंधन को एमसीडी की मुख्य जिम्मेदारी बताता है, बीजेपी ने 15 सालों के शासन में कूड़े का कितना अच्छा प्रबंधन किया है, उसका प्रमाण दिल्ली के तीन बड़े-बड़े कूड़े के पहाड़ हैं, जो दिल्ली में घुसते ही दिखाई देते हैं.
बीजेपी ने कुछ नहीं किया
विधायक आतिशी ने कहा कि हम महीने भर से देख रहे हैं कि गाजीपुर में खड़े कूड़े के पहाड़ में गर्मी के मौसम में अब हर हफ्ते आग लग रही है, पिछले 15 दिनों में वहां 2 बड़ी आग की घटनाएं हो चुकी हैं, जिसका नतीजा ये है कि पूर्वी दिल्ली के पूरे इलाके के लोगों के घरों में बहुत ही जहरीला धुआं पहुंचता है, जिसकी वजह से तरह-तरह की बीमारियां बच्चों, बुजुर्गों और जवानों को होती हैं. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? वहां पर कुतुबमीनार की लंबाई का 140 लाख टन कूड़े का पहाड़ खड़ा है, उसके लिए सिर्फ और सिर्फ बीजेपी जिम्मेदार है, पिछले 15 सालों में बीजेपी ने कुछ भी नहीं किया, जिससे उस कूड़े के पहाड़ का निस्तारण हो सके.
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कहां गया पैसा
आप विधायक ने बताया कि कुछ दिन पहले गाजीपुर के इस कूड़े के पहाड़ पर आग लगने पर दिल्ली विधानसभा की पर्यावरण समिति ने ईडीएमसी के उप-अधिकारियों को ये जानने के लिए समन किया कि उस कूड़े के पहाड़ को कम करने के लिए उनकी क्या योजना है, और वो क्या करेंगे? जिससे ये सुनिश्चित हो सके कि उस पहाड़ पर और कूड़ा नहीं आ रहा है. एमसीडी के अधिकारियों ने समिति के सामने ये माना कि उस कूड़े के पहाड़ को हटाने के लिए ना तो कोई योजना है, ना पैसा है और शायद ना ही योग्यता है कि वो उसे हटा सकें, आज हम पूछना चाहेंगे कि पैसा कहां गया.
काम करने के लिए पैसे नहीं
आप विधायक ने कहा कि ईस्ट दिल्ली नगर निगम ने पूर्वी दिल्ली के सभी विधायकों को एक पत्र लिखा है कि हम गाजीपुर लैंडफिल पर कूड़ा ना भेजा करें, इसलिए हमें डि-सेंट्रेलाइज्ड री-साइक्लिंग प्लांट लगाने हैं, लेकिन हमारे पास उसके लिए पैसा नहीं है, इसलिए आप हमें एमएलए लैंड फंड से पैसा दें, क्योंकि फंड की कमी के कारण निगम ये कार्य नहीं कर पा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि 15 सालों में पहली बार निगम को याद आया है कि उन्हें वेस्ट मैनेजमेंट का भी कोई काम करना है, ईस्ट एमसीडी कह रही है कि हमारे पास अपना काम करने के लिए पैसे नहीं हैं.
दिल्ली सरकार ने दिया पैसा
विधायक आतिशी ने कहा कि यदि आप दस्तावेज देखेंगे, तो पता चलेगा कि दिल्ली सरकार ने ईस्ट एमसीडी को 2014-2015 में फंड जारी किया है, इसके बाद हर साल केजरीवाल सरकार एमसीडी को बढ़ाकर पैसा देती आ रही है. 2013-14 में कांग्रेस ने अपने शासन काल में 146 करोड़ दिए गए थे, 2014-15 में जब दिल्ली में राष्ट्रपति शासन था, तब बीजेपी ने 163.55 करोड़ दिए गए थे, वहीं, दिल्ली सरकार ने 2018-19 तक उसको बढ़ाकर 1260 करोड़ कर दिया, सिर्फ इतना ही नहीं, दिल्ली सरकार ने ईस्ट एमसीडी को बार-बार लोन भी दिया है, ईस्ट एमसीडी को 1940 करोड़ का लोन और उसका ब्याज दिल्ली सरकार को देना है, 1260 करोड़ का फंड और 1940 करोड़ का लोन, ये सारा पैसा कहां गया.
एमसीडी ने कूड़े के प्रबंधन के लिए कुछ नहीं किया
आतिशी ने कहा कि, जब एमसीडी का एक ही काम है कि वो कूड़े का प्रबंधन और पूरी दिल्ली की साफ-सफाई करे और उसके लिए ही उसको हर साल पैसा मिल रहा है, आज एमसीडी खुद पत्र लिखकर कह रही है कि हमारा जो मुख्य काम है, हम वो भी नहीं सकते हैं. हमारे पास उसके लिए भी पैसा नहीं है. सवाल ये बनता है कि सारा पैसा कहां गया? इतने सालों से जो कूड़े के प्रबंधन और दिल्ली की साफ-सफाई के लिए पैसा मिल रहा है, वो बीजेपी के नेताओं ने अपनी जेब में डाल लिया है इसलिए एमसीडी कंगाल है. हर साल प्रॉपर्टी टैक्स, पार्कंग, विज्ञापन, दिल्ली सरकार के फंड से दिल्ली सरकार के लोन से एमसीडी को पैसा मिलता है. 15 सालों तक बीजेपी शासित एमसीडी ने कूड़े के प्रबंधन के लिए कुछ नहीं किया.
दिल्ली सरकार बेबुनियाद आरोप लगा रही है
वहीं, इसे लेकर एमसीडी के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि हम ईस्ट एमसीडी के अंतर्गत आने वाली सबसे बड़ी लैंडफिल साइट गाजीपुर को खत्म करना चाहते हैं, जिसके लिए लगातार कवायद की जा रही है. हम लोग यहां पर डि-सेंट्रलाइज री-साइक्लिंग प्लान लगाने की योजना पर काम कर रहे हैं जिससे कि कूड़े का सही प्रबंधन हो सके, और इसी बीच लगातार लैंडफिल साइट पर कूड़ा बढ़ते जा रहा है, जिसको लेकर हमने केंद्र सरकार से भी मदद मांगी है. हमारे पास फंड की कमी है, दिल्ली सरकार को जितना फंड देना चाहिए था उतना फंड हमें नहीं दिया गया है, कुछ फंड देकर दिल्ली सरकार कहती है कि वो हमें फंड दे रही है, जबकि ये सब झूठी बातें हैं. तीनों निगमों के पास फंड की कमी है इसी कारण से इन्हें एक किया जा रहा है. दिल्ली सरकार की ओर से हमें फंड नहीं दिया जाता, हमें कई चीजों के लिए परेशान होना पड़ता है, जिस कारण से तीनों निगमों को एक करने का फैसला लिया गया है. दिल्ली सरकार बेबुनियाद आरोप लगा रही है.
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