Delhi News: दिल्ली सरकार द्वारा राजधानी में बिजली से चलने वाले वाहनों की संख्या बढ़ाने पर लगातार जोर दिया जा रहा है. इसको लेकर दिल्ली परिवहन मंत्रालय द्वारा न केवल ऐसे वाहनों की संख्या को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, बल्कि अपनी ईवी नीतियों को प्रगतिशील बनाने के लिए प्रभावी कदम भी उठाए जा रहे हैं. वहीं इसी कड़ी में दिल्ली परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत द्वारा व्यापारियों व विभागीय अधिकारियों के साथ राजधानी में इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए एक गंभीर चर्चा की गई.


इसके अलावा यह भी कहा गया कि दिल्ली दूसरे राज्यों की तुलना में विद्युत से अधिक से अधिक वाहन चलाने वाली नीति को लेकर ज्यादा प्रगतिशील है. व्यापारियों और विभागीय अधिकारियों के साथ हुई चर्चा के दौरान दिल्ली परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के दिशा निर्देश पर दिल्ली सरकार ईवी नीति को लेकर ज्यादा प्रगतिशील है. वहीं अभी तक मिले परिणाम यह बताते हैं कि हम अपने निर्धारित लक्ष्य को समय से पूरा कर लेंगे. दिल्ली सरकार द्वारा 2025 तक लक्ष्य रखा गया है कि दिल्ली में 80% सरकारी डीटीसी व क्लस्टर बसों को बिजली से चलने के लिए सक्षम बना दिया जाएगा. साथ ही इस ओर लगातार दिल्ली सरकार द्वारा प्रभावी कदम भी उठाए जा रहे हैं.


आम लोगों के लिए प्रदूषण बना चुनौती
इसके अलावा दिल्ली परिवहन मंत्रालय द्वारा अधिकारियों और व्यापारियों को भी इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने को कहा. इसके साथ ही मार्केट में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन से लेकर वाहनों तक को लाने के लिए ठोस कदम उठाने की भी अपील की गई है. लगभग दशकों से दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण सरकार और आम लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है. इसको लेकर दिल्ली सरकार ने अपने इस कार्यकाल और बजट में स्पष्ट संकेत दिए हैं कि आने वाले सालों में राजधानी में ज्यादातर वाहनों को बिजली से चलने के लिए सक्षम बना दिया जाएगा, जिससे दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद मिल सके.


पर्यावरण प्रदूषण से दिल्ली को मिलेगी मुक्ति  
पर्यावरण संरक्षण को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा अनेक योजनाएं और प्रोजेक्ट को लागू किया जा रहे हैं. इसके अलावा पेट्रोल डीजल और सीएनजी का सीमित मात्रा में प्रयोग के उद्देश्य से इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को सड़कों पर बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. इन सीमित संसाधनों का प्रयोग कम से कम करते हुए ना केवल राजधानी को प्रदूषण से बचाने में सफलता मिलेगी, बल्कि राजधानी के भविष्य को भी सुरक्षित किया जा सकेगा. वैसे अब तक दिल्ली सरकार के विभागों द्वारा किए जा रहे प्रयास के बाद निश्चित तौर पर सरकार की यह नीति बाकी राज्यों की तुलना में ज्यादा प्रगतिशील देखी जा रही है.



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