Delhi Eye Flu : आई फ्लू की चपेट में आने का खतरा बच्चों में ज्यादा, ऐसे करें बचाव
Eye Flu In Delhi: चिकित्सकों के मुताबिक बच्चों में आई फ्लू होने की आशंका अधिक होती है. बच्चे शारीरिक रूप से ज्यादा एक्टिव होते हैं और ज्यादातर समूहों में रहते हैं.
Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देशभर में बारिश के बाद से आई फ्लू संक्रमण तेजी से फैल रहा है. आई फ्लू के मामले को पिंक आई भी कहा जा रहा है. चिकिस्तकों की मानें तो यह एक संक्रामक बीमारी है, जिससे बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना रहती है. दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पूर्वोत्तर में इस संक्रामक रोग के तेजी से फैलने का कारण भारी बारिश के बाद बाढ़ और जलभराव को माना जा रहा है. जानकारी के मुताबिक बच्चे जल्द इस रोग की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में कई स्कूल प्रशासन ने इससे बचाव के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं.
चिकित्सकों के अनुसार इस मौसम में बच्चों में आई फ्लू होने की आशंका अधिक होती है, क्योंकि वे बड़ों की तुलना में शारीरिक रूप से ज्यादा एक्टिव होते हैं और ज्यादातर समय समूहों में रहते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को सतर्क रहने की जरूरत है. आई फ्लू कई तरह के होते हैं. यह रोग बैक्टीरिया, वायरस या एलर्जी के कारण भी हो सकता है. अभी जिस संक्रामक रोग का शिकार लोग हो रहे हैं, वह काफी तेजी से फैलने वाला है. आंखों में लालिमा, खुजली, चिपचिपापन और सूजी हुई पलकें, इस रोग के लक्षण हैं. वायरल संक्रमण में दवा या आई ड्रॉप से तुरंत राहत नहीं मिलती है. इसे ठीक होने में एक से दो सप्ताह का समय लग सकता है.
बचाव के लिए बरतें ये सावधानियां
- आई फ्लू संक्रमण से बचाव के लिए सफाई पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है. घर पर पैरेंट्स और स्कूल में टीचर को बच्चों को हाथों को लगातार धोने रहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. वहीं, चश्मे, कॉन्टेक्ट लेंस और आंखों के संपर्क में आने वाली किसी भी वस्तु की भी नियमित सफाई भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.
- बच्चे अक्सर अपनी आंखों को रगड़ते या छूते रहते हैं, जिस कारण वे इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं. ऐसे में बच्चों को अपनी आंखों को छूने से बचने की सलाह दें और वायरस के संपर्क में आने और फैलाव से बचने के लिए छींकते या खांसते समय टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना सिखाएं. टिश्यू पेपर को एक बार इस्तेमाल के बाद डस्टबिन में फेंक देना चाहिए.
- सभी को संक्रमित या संक्रमण के लक्षण वालों से दूर रहने की सलाह दें. अगर बच्चा संक्रमित हो चुका है तो उसे भी सबसे दूरी बना कर रखने के लिए कहें और उसे काला चश्मा पहनाएं, जिससे संक्रमण का फैलाव न हो और तुरंत ही अपने डॉक्टर से संपर्क कर उनसे सलाह लें.
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