Delhi AQI: दिल्ली में खतरनाक प्रदूषण की वजह से एक्यूआई (AQI) लगातार क्रिटिकल कंडीशन में पहुंच गया है. जहरीली हवा की वजह से लोगों को सांस लेना भी दूभर होता जा रहा है. यही वजह है कि सीएमक्यूएम (CAQM) और दिल्ली सरकार ने अधिकारियों को प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की गंभीर का इसी से अंदाजा लागया जा सकता है कि 15 नवंबर को सुबह नौ बजे औसत एक्यूआई 409 दर्ज किया गया. जबकि 14 नवंबर को औसत एक्यूआई 430 और 13 नवंबर को 418 दर्ज किया जो बेहद गंभीर श्रेणी में आता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए 14 नवंबर को सीएमक्यूएम ने दिल्ली दिल्ली एनसीआर में ग्रैप-3 लागू करने के निर्देश दिए.
सीएक्यूएम की सिफारिश पर दिल्ली सरकार ने सभी संबंधित एजेंसियों स प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है. पांचवीं तक स्कूल को बंद रखने के निर्देश दिए हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको लेकर दायर एक याचिका स्वीकार कर ली है.
15 नवंबर को Delhi-NCR में AQI
नई दिल्ली की हवा गंभीर श्रेणी में बरकरार है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार राजधानी दिल्ली में शुक्रवार सुबह 6:15 बजे तक औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 409 दर्ज किया. दिल्ली एनसीआर के शहर फरीदाबाद में 283, गुरुग्राम में 314, गाजियाबाद में 332, ग्रेटर नोएडा में 258 और नोएडा में 328 एक्यूआई दर्ज किया गया.
दिल्ली में 25 इलाकों में एक्यूआई 400 से 500
दिल्ली के आनंद विहार में 441, अशोक विहार में 440, आया नगर में 417, बवाना में 455, डॉ करणी सिंह शूटिंग रेंज में 412, द्वारका सेक्टर 8 में 444, आईजीआई एयरपोर्ट में 440, जहांगीरपुरी में 458, लोधी रोड में स्टेडियम में 422 और मंदिर मार्ग में 402 एक्यूआई रहा.
इनके अलावा, मुंडका में 449, नजफगढ़ में 404, नरेला में 428, नेहरू नगर में 438, एनएसआईटी द्वारका में 430, फेस्टिवल 422, पटपड़गंज में 439, पंजाबी बाग में 443, पूसा में 405, आरके पुरम में 437, रोहिणी में 452, शादीपुर में 438, सिरी फोर्ट में 426, विवेक विहार में 439 और वजीरपुर में 455 एक्यूआई दर्ज किया गया.
14 इलाकों में AQI 300 से 400
दिल्ली के अलीपुर में 398, बुराड़ी क्रॉसिंग में 383, चांदनी चौक में 347, मथुरा रोड में 368, डीटीयू में 395, दिलशाद गार्डन में 369, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 374, लोधी रोड में 314, नॉर्थ कैंपस डीयू में 338, पूसा में डीपीसीसी में 381 और श्री अरविंदो मार्ग में 301 एक्यूआई रहा.
14 नवंबर को औसत एक्यूआई 430
गुरुवार (14 नवंबर) को दिल्ली में औसत एक्यूआई 430 दर्ज किया गया था. ऐसे में लगातार दो दिनों से दिल्ली की हवा गंभीर श्रेणी में बनी हुई है,जिससे सुबह-सुबह स्मॉग देखने को मिल रहा है और दिल्ली के लोगों, जिसमें खासकर बच्चों और बूढ़ों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
13 नवंबर को दिल्ली में सबसे खराब एक्यूआई
दिल्ली में बुधवार को पूरे देश के मुकाबले सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई. राजधानी में इन दिनों में पहली बार एक्यूआई बढ़कर 418 हो गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है.सीपीसीबी के मुताबिक, दिल्ली के 36 निगरानी केंद्रों में से 30 ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’ करार दिया. इस साल पीएम10 का औसत 193.25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जो पिछले वर्ष के 184.25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा है. वहीं इस वर्ष पीएम 2.5 का औसत स्तर 2023 में 82.75 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर 88.22 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया है.
दिल्ली एनसीआर में GRAP-3 लागू
दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से लगातार एक्यूआई लेवल गुरुवार को 400 के पार रहने के बाद 14 नवंबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 15 नवंबर से ग्रेप 3 लागू करने का फैसला किया. 15 नवंबर से दिल्ली एनसीआर में ग्रैप-3 को लागू कर दिया गया है. निर्माण से संबंधित कामों को प्रदूषण नियंत्रण में आने तक बंद कर दिया गया है. भवन व इमारतों में तोड़फोड़, खनन से जुड़ी सभी प्रकार की गतिविधियां निलंबित कर दी गई हैं. सरकार प्राथमिक विद्यालयों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं लेने का सुझाव दिए हैं.
दिल्ली के वार रूम में मौसम वैज्ञानिकों के साथ गुरुवार को बैठक के बाद पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि प्रदूषण में दिल्ली का योगदान 30.34 प्रतिशत, एनसीआर के जिलों का 34.97 प्रतिशत तथा एनसीआर से सटे जिलों का 27.94 प्रतिशत है.
12 नवंबर के बाद प्रदूषण में बढ़ोतरी की वजह
वैज्ञानिकों ने पिछले दो दिनों की जो रिपोर्ट रखी है, उसके अनुसार पिछले दो दिनों में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी के मुख्य दो कारण हैं. पहला पहाड़ों पर बर्फबारी होने के कारण दिल्ली के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है, जिसकी वजह से पूरे उत्तर भारत में सुबह और शाम को धुंध की स्थिति बनी हुई है. दूसरा हवा की जो गति है, उसमें कमी आई है. इन दो वजहों से प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है.
पराली के मामलों में 80 फीसदी की कमी
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए समर एक्शन प्लान और विंटर एक्शन प्लान बनाया है, लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार को एनसीआर व अन्य राज्यों के साथ मिलकर एक संयुक्त एक्शन प्लान काम करना होगा. उसे कड़ाई के साथ लागू करना होगा और सबको अपने हिस्से के प्रदूषण को नियंत्रित करना पड़ेगा. गोपाल राय ने बताया कि 2022 में पंजाब में 14 अक्टूबर से 13 नवंबर के बीच पराली जलाने की 45,172 घटना हुई थी. पंजाब की सरकार ने इस पर काम करना शुरू किया तो पराली जलाने की घटनाएं कम हुई है. इसमें पिछले 3 साल में 80 प्रतिशत की कमी आई है.
सीओपी29 जलवायु सम्मेलन की भारत से अपील
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बदतर होने के बाद यहां आजरबैजान की राजधानी बाकू में सीओपी29 जलवायु सम्मेलन में विशेषज्ञों ने भारत से मीथेन और ब्लैक कार्बन जैसे अल्पकालिक जलवायु प्रदूषकों (एसएलसीपी) को कम करने का आग्रह किया, जो वायु गुणवत्ता में गिरावट और ग्लोबल वार्मिंग दोनों के लिए प्रमुख कारक होते हैं. अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक (एसएलसीपी) ग्रीनहाउस गैसों और वायु प्रदूषकों का एक समूह होता है जो जलवायु को निकट अवधि में गर्म करता है और वायु की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है.
वार्मिंग के लिए एसएलसीपी जिम्मेदार- ड्यूरवुड जेल्के
एसएलसीपी में ब्लैक कार्बन, मीथेन, ग्राउंड-लेवल ओजोन और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) शामिल हैं. नयी दिल्ली की वायु गुणवत्ता इस सीजन में पहली बार 'गंभीर' स्तर पर पहुंच गई, बुधवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 418 तक पहुंच गया. ‘इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ (आईजीएसडी) में भारत की कार्यक्रम निदेशक जेरीन ओशो और आईजीएसडी के अध्यक्ष ड्यूरवुड जेल्के ने बताया कि वर्तमान वार्मिंग के लिए आधा जिम्मेदार एसएलसीपी है.
ड्यूरवुड जेलके ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, 'अगर हम एसएलसीपी पर ध्यान देते हैं, तो हम तेजी से शीतलन प्रभाव प्राप्त कर सकते हैं. दीर्घकालिक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण समय हासिल कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा कि एसएलसीपी पर अंकुश लगाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा तक पहुंच गया है और 2024 के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि तापमान जल्द ही इस सीमा को पार कर सकता है.
ओशो ने विश्व बैंक के निष्कर्षों का हवाला दिया कि तापमान वृद्धि के कारण भारत के असंगठित क्षेत्र में लगभग 3.4 करोड़ नौकरियां चली गईं. एसएलसीपी के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है. इसके अलावा, एसएलसीपी के कारण आंशिक रूप से प्रभावित बदलते मानसून परिदृश्यों से फसल चक्र पर असर पड़ता है और देश तथा विदेश में खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है. चावल जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों के एक शीर्ष वैश्विक निर्यातक भारत को ऐसे प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है. ओशो ने जोर देकर कहा, 'एसएलसीपी बढ़ती गर्मी के तनाव और अनियमित वर्षा में सीधे योगदान देता है, जिससे न केवल स्थानीय किसान बल्कि वैश्विक खाद्य श्रृंखलाएं भी प्रभावित होती हैं.'
SC में 18 नवंबर को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर दिल्ली में प्रदूषण पर अंकुश लगाने के उपायों को लागू करने का अनुरोध करने वाली याचिका को 18 नवंबर के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर बृहस्पतिवार को सहमति व्यक्त की. न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर न बन जाए, इसलिए याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किया जाए. इसके बाद न्यायालय ने दिल्ली में प्रदूषण से संबंधित याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई करने पर सहमति जताई.
2023 की तुलना में PM10 और PM 2.5 में वृद्धि
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार 13 नवंबर को जारी लेटेस्ट आंकड़ों में सामने आया कि इस वर्ष एक जनवरी से 12 नवंबर के बीच दिल्ली का वार्षिक औसत पीएम10 और पीएम2.5 का स्तर पिछले साल की समान अवधि की तुलना में क्रमश: पांच प्रतिशत और सात प्रतिशत अधिक रहा.
दिल्ली के सराय काले खां चौक का बदला नाम, अब इस नाम से जाना जाएगा