Delhi: छात्राएं स्कूल में बिंदी, मांग भर सकती हैं तो फिर हिजाब पर पाबंदी क्यों? कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर बोले दिल्ली की मस्जिद के शाही इमाम
Hijab Row: हिजाब को लेकर आए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को लेकर दिल्ली की एक मस्जिद के शाही इमाम ने कहा है कि हिजाब पर पाबंदी मुस्लिम बच्चियों के भविष्य को अंधकार में डालने जैसा है.
Delhi Masjid Imam On Hijab Row: देश में चल रहे हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसला लेते हुए छात्राओं द्वारा दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया और यह माना कि हिजाब (Hijab) धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. जिसके बाद हिसाब को लेकर विवाद और ज्यादा बढ़ गया है. कोर्ट के इस फैसले को लेकर अलग-अलग लोग अपनी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. हिजाब के मुद्दे पर दिल्ली (Delhi) की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉक्टर मुफ़्ती मोहम्मद मुकर्रम ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि आजकल हिजाब को भगवा गमछे के साथ जोड़ा जा रहा है, जो ठीक नहीं है.
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि भगवा गमछा 4 दिन का है या एक महीने का है उसे 1450 साल की परंपरा से जोड़ना अन्याय है. हिजाब शराफत की निशानी है, हिजाब कल्चर है, धर्म है, ये जो भगवा गमछे वाले मुस्लिम लड़कियों पर अटैक कर रहे हैं ये हमारे देश का नुकसान है. मुसलमानों को अपनी फिक्र नहीं है लेकिन भारत की जनता को इसकी बहुत बड़ी सज़ा भुगतनी पड़ेगी.
देहरादून से शुरू हुई नफरत- इमाम
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम भारत सरकार, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से अपील करते है कि भारत में आजकल नफरत चल रही है जो देहरादून से शुरू हुई है, जो गमछा चल रहा है इसके ऊपर पाबंदी लगाई जाए. उन्होंने कहा कि हमें ताज्जुब है कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी लगा दी, जिससे हज़ारों मुस्लिम लड़कियों का भविष्य अंधकार में चला गया, उन्होंने कहा कि हमारा 1450 साल पुराना धर्म है जो हमारा कल्चर है, इसमें भारत सरकार और अदालतों को सोचने की जरूरत है.
हिजाब धर्म का हिस्सा होने के साथ-साथ कल्चर का हिस्सा- इमाम
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को लेकर अपने फैसले में कहा कि हिजाब धर्म का हिस्सा नहीं है, इस्लाम में इसे पहनना अनिवार्य नहीं है, ऐसे में स्कूल और कॉलेज में चलने वाली यूनिफार्म को छात्र पहनने से मना नहीं कर सकते. इसको लेकर मस्जिद के शाही इमाम ने कहा कि हमारे कुरान में फरमाया है कि मुस्लिम महिलाएं, औरतें पर्दा लें, चादर लें हालांकि हिजाब शब्द कुरान में नहीं है. लेकिन पर्दा ज़रूर है. हिजाब धर्म का हिस्सा होने के साथ-साथ कल्चर का हिस्सा है, हर बेटी सर ढकना चाहती है, घूंघट करना चाहती है, इसका हुक्म हमारे कुरान शरीफ में भी है. स्कूल कॉलेज में कोई मांग भरता है, कोई बिंदी लगाता है तो अगर हिजाब को भी परमिशन मिल जाएगी तो कोई समस्या नहीं है.
हिजाब मामला अब सुप्रीम कोर्ट में
गौरतलब है कि उडुपी में 6 छात्राओं को जब हिजाब के साथ क्लास रूम में एंट्री नहीं दी गई तो उनकी ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. जिसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट में इसको खारिज कर दिया और यह फैसला सुनाया कि हिजाब यूनिफार्म का हिस्सा नहीं हो सकता, इसके साथ क्लास रूम में बैठने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिसके बाद छात्राओं ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जिसमें कहा गया है कि इस्लाम धर्म में हिजाब पहनना अनिवार्य है.
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