Delhi FBU Scam News: केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच में दिल्ली में फीडबैक यूनिट घोटाले का उजाकर करने के बाद से बीजेपी ने दिल्ली सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने आज एक पत्रकार सम्मेलन में कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार 2015 में अपनी स्थापना के समय से ही आराजक तरीके से काम कर रही है. आप के राष्ट्रीय संयोजक और उनके सहयोगी विरोधियों के प्रति द्वेषभाव से काम करते हैं. केजरीवाल सरकार विरोधियों के दमन में विश्वास करती है.
वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया है कि 1 फरवरी 2016 को केजरीवाल सरकार ने एफबीयू यानी फीड बैक यूनिट की स्थापना अपने राजनीतिक विरोधियों, केन्द्रीय मंत्रियों, सांसदों, उपराज्यपाल कार्यालयों और मीडिया हाउसों की जासूसी के लिए की थी. अपनी आराजक परिपाटी के चलते केजरीवाल सरकार ने एफबीयू की स्थापना भी बिना प्रशासनिक एवं आर्थिक स्वीकृति यानी केवल कैबिनेट की स्वीकृति के आधार पर की थी. बिहार पुलिस से लाए गए 17 पुलिस एवं अन्य कर्मी एफबीयू में नियुक्त किए थे. इनका मुखिया एक सेवानिवृत्त सीआईएसएफ के डीआईजी को बनाया गया था. एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारी भी एसीबी और एवं सतर्कता विभाग में मुहैया कराए गए थे.
एफबीयू को मिला था 1 करोड़ स्थापना फंड
दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि एफबीयू को एक करोड़ रुपए का स्थापना फंड दिया गया था. इसको सीक्रेट सर्विस फंड का नाम दिया गया जो नाम अपने आप में चौंकाने वाला है. आखिर अरविंद केजरीवाल को किसकी जांच करवानी थी, जिसके लिए गुप्त फंड बनाया गया. इस फंड से करोड़ों का फंड प्राइवेट जांच ऐजेंसियों को किया गया, साथ ही मुखबिर खड़े करने के लिए भी इस्तेमाल किया गया. प्रारंभ से ही दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने इस पर आपत्ति की थी. सितंबर 2016 में जब अश्वनी कुमार सतर्कता निदेशक बने तो उन्होंने एफबीयू से काम का लेखा जोखा मांगा था, लेकिन वह अपने काम की कोई रिपोर्ट नही दे पाई.
नजीब जंग ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश
ठीक उसी समय यानी अगस्त 2015 में दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश आ गया कि दिल्ली के सभी मामलों में उपराज्यपाल सर्वोच्च होंगे. तब केजरीवाल सरकार को एफबीयू स्थापना की फाइल तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग को भेजनी पड़ी, जिन्होंने सतर्कता विभाग के रहते ऐसी नई संस्था बनाने पर आपत्ति करते हुऐ ना सिर्फ फाइल रिजेक्ट कर दी बल्कि सीबीआई जांच के भी आदेश दिए. वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है की आज दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार से एफबीयू की स्थापना को लेकर कुछ सवाल पूछना चाहती है. क्या सीएम केजरीवाल उसका जवाब देंगे?
1. एसीबी और सतर्कता विभाग के होते हु केजरीवाल सरकार ने सेवानिवृत्त लोगों को लेकर एफबीयू की स्थापना क्यों की?
2. एफबीयू स्थापना के पीछे केजरीवाल सरकार का क्या मकसद था?
3. क्या केजरीवाल राजनीतिक विरोधियों पर नजर रखना इसका मकसद था?
4. सीबीआई जांच मे सामने आया की एफबीयू ने केजरीवाल सरकार को लगभग 700 रिपोर्ट दीं, मुख्य मंत्री बताएं उन पर क्या कारवाई हुई?
निजी तौर पर पैसे की रिकवरी केजरीवाल से हो
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि एफबीयू स्कैम मामले में सीबीआई ने उपराज्यपाल से सरकार के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है. दिल्ली भाजपा उपराज्यपाल से अविलंब इस संदर्भ में सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति देंने का निवेदन करती है. साथ ही हम मांग करते हैं की विज्ञापन घोटाले की ही तरह एफबीयू घोटाले पर बर्बाद हुए सरकारी फंड की रिकवरी भी अरविंद केजरीवाल से व्यक्तिगत तौर पर हो.
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