Delhi News: दिल्ली के लोगों को सीएनजी बेस्ड हल्के जानवरों को पहला शवदाह गृह जल्द मिलने वाला है. द्वारका से सेक्टर 29 में यह पशु शवदाह गृह बनकर तैयार है. इस माह के अंत तक यहा पर हल्के पशुओं के शवों को जलाने का काम शुरू हो जाएगा. वजन के हिसाब से पशुओं को जलाने के बदले लोगों को पैसों का भी भुगतान करना होगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 30 किलो तक के जानवरों के लिए 2 हजार रुपये और अधिकतम 3 हजार रुपये का भुगतान प्रति जानवर करना होगा.
द्वारका सेक्टर 29 में चार एकड़ के दिल्ली नगर निगम डॉग कॉम्प्लेक्स के अंदर 700 वर्ग मीटर की साइट पर शवदाह गृह बनाया गया है. एमसीडी के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के पहले नगरपालिका पालतू शवदाह गृह का संचालन इस माह के अंत तक शुरू हो जाएगा. इस सेंटर को फ्यूरी फ्रेंड्स फॉरएवर नाम दिया गया है. एमसडी के इस डॉग कॉम्प्लेक्स में कुत्तों के लिए नसबंदी केंद्र पहले से ही चालू है.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने हल्के जानवरों को जलाने के लिए सीएनजी बेस्ड पशु शवदाह गृह की पहली बार परिकल्पना साल 2018 में की थी. एसडीएमसी ने इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में क्रियान्वित करने को फैसला लिया था. यही वजह है कि इस योजना के तहत श्मशान के निर्माण, रखरखाव और रखरखाव की पूरी लागत एनजीओ हरित क्रांति द्वारा उठाई जा रही है.
शवदाह गृह में सीएनजी की 2 भट्टियां
एमसीडी के एक अधिकारी ने कहा कि परियोजना में आखिरी बाधा दूरस्थ स्थल तक 3 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन कनेक्शन थी. शवदाह गृह में 200 किलोग्राम और 150 किलोग्राम बायोमास क्षमता वाली दो सीएनजी भट्टियां हैं. दो भट्टियों का उपयोग एक दिन में 10 निजी पालतू जानवरों और 15 छोटे आवारा जानवरों की देखभाल के लिए किया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक दाह संस्कार चक्र 30 मिनट से एक घंटे तक चलता है. यह एक हरित प्रणाली है और इससे कोई गैस उत्सर्जन नहीं होगा.
निजी शवदाह गृहों पर जलाने का खर्चा ज्यादा
बता दें कि दिल्ली में करीब आधा दर्जन निजी ऑपरेटर पालतू जानवरों के लिए दाह संस्कार की सुविधा मुहैया करा रहे हैं. इन शवदाह गृहों में 25 किलोग्राम वजन वाले कुत्ते को जलाने पर 6000 से 7000 रुपये का भुगतान करना होता है. जबकि इलेक्ट्रिक भट्टी की सुविधा देने पर पशु मालिकों को रुपये 9 हजार से 10 हजार रुपये का भुगतान करना होता है. निजी शवदाह गृहों पर 15 किलो से कम वजन वाले जानवरों के लिए 5000 रुपये का भुगतान करना पड़ता है.