Delhi News: दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात के बीच हजारों लोग खुद की जिंदगी बचाने के लिए एक बार फिर सुरक्षित कैंपों में शरण लेनी पड़ी है. लोगों को सरकार और सामाजिक संस्थाओं की तरफ से खाने पीने की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, लेकिन हफ्तों से अपने घरों से दूर रहने के बाद अब राहत शिविरों में रहने वाले लोगों पर आर्थिक संकट और बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है. इसी बीच एबीपी लाइव ने तटवर्ती क्षेत्र के रहने वाले लोगों से बातचीत की और जाना कि वर्तमान हालात में वह कैसे अपने जीवन को बचाने के साथ-साथ आर्थिक संकट से निकलने के बारे में सोच रहे हैं.
यमुना खादर क्षेत्र के रहने वाले शिक्षक छोटेलाल ने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान कहा कि हालात सामान्य होने के बाद वह अपने परिवार के साथ घरों की तरफ आ चुके थे, लेकिन दूसरी बार बाढ़ का खतरा मंडराने के बाद परिवार के सभी सदस्य एक बार फिर कैंप की तरफ जाने को मजबूर हैं. परिवार में कुल 15 सदस्य हैं. तटवर्ती क्षेत्र में पास के ही स्कूल में बच्चों को पढ़ाने पर कुछ पैसे मिल जाते थे. परिवार का खर्च चलता था, लेकिन लगभग 10 दिनों से स्कूल बंद हैं. पठन-पाठन पूरी तरह ठप्प है. जिसकी वजह से इस महीने पैसों को लेकर काफी दिक्कत हो रही है. आगे भी जब तक स्थिति सामान्य नहीं होगी तब तक आर्थिक संकट बना रहेगा. ऐसे में कैंप में जरूर खाने-पीने का इंतजाम हो जा रहा है, लेकिन परिवार खर्च के लिए जरूरी पैसों का इंतजाम करना अब बहुत मुश्किल है.
दिल्ली सरकार से नहीं मिली आर्थिक सहायता
इसके अलावा, एबीपी लाइव ने जब सवाल किया कि दिल्ली सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता दिए जाने का वादा किया है तो उन्होंने कहा कि अभी तक हमें कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है. तटवर्ती क्षेत्र में रहने वाले सुरेश ने भी बताया कि सब्जी बेचकर वह अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं, लेकिन बाढ़ आने के बाद पूरी तरह से कामकाज प्रभावित हो चुका है. सुरेश अपने परिवार के साथ राहत शिविर कैंप में शरण ले चुके हैं. लेकिन जब तक बाढ़ की स्थिति सामान्य नहीं होगी तब तक हम घरों को नहीं लौट पाएंगे, इसलिए आर्थिक अस्थिरता बनी हुई है. हम बस यही चाहते हैं कि जल्द से जल्द अपने घरों की तरफ हम अपने परिवार के साथ लौट जाएं.
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