Delhi News: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने साइबर ठगों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो ओमिक्रोन बूस्टर डोज पर एक संदेश भेजकर पीड़ितों के व्हाट्सएप अकाउंट को हैक करता था. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. एक अधिकारी ने सोमवार को इसकी जानकारी दी है.


आरोपियों की हुई पहचान


आरोपियों की पहचान मनीष कुमार, रोहित सिंह और कौशलेंद्र सिंह तोमर के रूप में हुई है. पुलिस उपायुक्त आईएफएसओ (स्पेशल सेल) के.पी.एस. मल्होत्रा ने कहा कि आरोपी सरकारी अधिकारी होने का दिखावा करता था और इस तरह पीड़ित को कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिए ओटीपी साझा करने का लालच देता था.


आईएफएसओ यूनिट स्पेशल सेल में एक शिकायत प्राप्त हुई थी


मामले के बारे में अधिक जानकारी देते हुए मल्होत्रा ने कहा कि आईएफएसओ यूनिट स्पेशल सेल में एक शिकायत प्राप्त हुई थी. शिकायतकर्ता को एक कॉल आया जिसमें उन्हें सूचित किया गया कि कोविड वैक्सीन की दोनों खुराक के बाद शिकायतकर्ता को बूस्टर खुराक लेनी है. शिकायतकर्ता को कॉन्फ्रेंस पर इनकमिंग कॉल लेने के लिए कहा गया और फिर व्हाट्सएप अकाउंट चेंज कोड मिलने के बाद उसका व्हाट्सएप हैक कर लिया गया और उसके दोस्तों और रिश्तेदारों को कई संदेश मिले.


शिकायतकर्ता के भाई ने यूपीआई के जरिए जमा करा दिए रूपये


शिकायतकर्ता के भाई ने यूपीआई के जरिए जालसाजों के खाते में 50 हजार रुपये जमा कराए. जांच के दौरान पता चला कि इस नेटवर्क से संबंधित 20 और शिकायतें साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज की गईं. इस शिकायत के आधार पर स्पेशल सेल पुलिस स्टेशन में कानून की उपयुक्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.


मुख्य कॉलर की हुई पहचान


जांच के दौरान तकनीकी, भौतिक और वित्तीय विश्लेषण किया गया और मुख्य कॉलर की पहचान मनीष कुमार के रूप में की गई. इसके अनुसार आगरा, उत्तर प्रदेश में एक छापेमारी की गई और आरोपी को उसके दो सहयोगियों, रोहित सिंह और कौशलेंद्र सिंह तोमर के साथ गिरफ्तार किया गया.


ये चीजें हुई बरामद


इनके पास से मोबाइल फोन और वारदात में इस्तेमाल किए गए उपकरण बरामद किए गए हैं. जांच के दौरान सरगना आरोपी मनीष ने खुलासा किया कि करीब एक साल पहले उसने यूट्यूब से वाट्सऐप हैकिंग की तकनीक सीखी और फिर अलग-अलग बहाने से निर्दोष लोगों को ठगता रहा. अधिकारी ने कहा, "कोविड महामारी के इस समय में, आरोपी पीड़ितों को टीकाकरण विभाग से खुद को अधिकारी बताता था और पीड़ितों से बूस्टर खुराक की तारीख तय करने के लिए कहता था."


कॉन्फ्रेंस कॉल करने के लिए करता था प्रेरित


पीड़ित को घोटाले की जानकारी होने की संभावना को दरकिनार करने के लिए वह पीड़ित को संदेश पर कोड प्राप्त करने के बजाय एक कॉन्फ्रेंस कॉल करने के लिए प्रेरित करता था. एक बार जब पीड़ित का खाता धोखेबाजों के नियंत्रण में आ जाता था तो वे रिश्तेदारों को संकट संदेश भेजते और उन्हें विभिन्न वित्तीय चैनलों के माध्यम से पैसे भेजने के लिए प्रेरित करते थे. आरोपी मनीष कुमार को महिलाओं का शीलभंग करने के तीन और मामलों में भी संलिप्त पाया गया. अधिकारी ने कहा, "मामले की आगे की जांच जारी है."


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