Delhi Old Buses: प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों से पुरानी बसों को राजधानी में न भेजने का अनुरोध किया है. दिल्ली सरकार ने पड़ोसी राज्यों से वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र के बिना अपनी बसें नहीं भेजने को कहा. इसके लिए दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार को दूसरें राज्यों के साथ एक वीडियो-कॉन्फ्रेंस की.
सूत्रों की मानें तो अधिकारियों ने बताया कि हमने उनसे पुरानी बसें दिल्ली नहीं भेजने का अनुरोध किया. हमने उनसे कहा कि वे प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने में हमारी मदद करने के लिए आठ साल से अधिक पुरानी बसें नहीं भेजें. इसके साथ ही एक और अनुरोध भी किया गया था कि उन बसों को न भेजें जिनके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) नहीं है. बता दें कि वायु प्रदूषण आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के महीनों में दिल्ली में चरम पर होता है.
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 10 साल और 15 साल से पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस आदेश का उल्लंघन करने वाले वाहनों को जब्त कर लिया जाएगा. वहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) 2014 का आदेश 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को सार्वजनिक स्थानों पर पार्क करने की अनुमति नहीं देता है. इसके अलावा दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक अभियान चला रही है जिसमें बिना वैध पीयूसीसी वाली बसों को राजधानी में प्रवेश करने पर रोक रहेगी. अधिकारियों के अनुसार राजधानी में प्रतिदिन 1,500 से अधिक बसों की एंट्री होती है.
बता दें कि पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाले दोपहिया और तिपहिया वाहनों का प्रदूषण जांच का शुल्क 60 रुपये है. इसके अलावा चार पहिया वाहनों के लिए यह शुल्क 80 रुपये और डीजल वाहनों के लिए 100 रुपये है.