Delhi News: अगर चलाते रहना चाहते हैं अपनी कार तो जरूर करवा लें यह काम, सरकार ने कर दी है बेहद सख्ती
दिल्ली सरकार ने दिल्ली में दस साल से ज्यादा पुरानी डीजल गाड़ियों पर एक जनवरी से पाबंदी लगाने का आदेश दिया है. हालांकि सरकार ने गाड़ी मालिकों को नुक्सान से बचाने के कुछ विकल्प भी दिए हैं.
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Delhi News: दिल्ली सरकार ने अपने एक फैसले में दिल्ली में डीजल से चलने वाली, दस साल पुरानी एक लाख से अधिक गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का फैसला किया है. वहीं आने वाले दिनों में 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल गाड़ियों का भी रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. दिल्ली सरकार के सीनियर अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली में में इस तरह की जो 15 साल या उससे ज्यादा पुरानी गाड़ियों की तदाद 43 लाख से ज्यादा है, इन गाड़ियों में 32 लाख दोपहिया और 11 लाख कारें शामिल हैं. वहीं दिल्ली के परिवहन विभाग ने इसको लेकर एक चेतवानी वाले बयां में कहा है कि अगर दिल्ली में कोई दस साल पुराना डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ी सड़को पर दौड़ती हुई पायी गई तो उन्हें जब्त कर के कबाड़ में डाल दिया जायेगा.
दिल्ली सरकारों ने ऐसे गाड़ी के मालिकों दिया यह विकल्प
दिल्ली सरकार ने दस साल पुरानी डीजल गाड़ियों के मालिकों किसी भी तरह के नुक्सान से बचाने के लिए, दो विकल्प उनके सामने रखें हैं. दिल्ली सरकार के मुताबिक ऐसे मालिक या तो गाड़ियों को इलेक्ट्रिक गाड़ी में तब्दील करवा लें या अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेकर दूसरे राज्यों को बेच दें.
दिल्ली सरकार ने ऐसे गाड़ी मालिकों को लेकर कहा कि अगर वह ऐसी दस साल पुरानी डीजल गाड़ियां और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को दिल्ली के एनसीटी में चलाने के लिए, उसको इलेक्ट्रिक में तब्दील करवानी होगी. जिसके लिए दिल्ली सरकार ने कुछ एजेंसियों अनुमोदित किया है, जहां से गाड़ीयों के मालिक अपनी गाड़ियों का रेट्रो फिटमेंट करवा सकते हैं. फिलहाल अभी ऐसी एजेंसियों की संख्या छः है.
वहीं सरकार ने आगे कहा है कि वह और भी निर्माताओं से बात कर रहा है, जिससे आने वाले दिनों में और अधिक रेट्रो फिटमेंट कंपनियों को को सूचीबद्ध किया जाएगा. दिल्ली सरकार ने इन छः एजेंसियों के चुनाव के सम्बन्ध में बताते हुए कहा कि पैनल में शामिल छह रेट्रोफिटर्स को इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) द्वारा अनुमोदित किया गया है, जो एक प्रमुख रिसर्च, डेवलपमेंट और टेस्टिंग प्रमाणन कंपनियां हैं.
परीक्षण प्रमाणन, अनुसंधान और विकास एजेंसी है.
पैनल में शामिल अन्य प्रमुख कंपनियां 3 ईवी इंडस्ट्रीज, बूमा इनोवेटिव ट्रांसपोर्ट सॉल्यूशंस रिन्यूएबल, जीरो 21 रिन्यूएबल एनर्जी सॉल्यूशंस और वीईएलईवी मोटर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड हैं. जो संबंधित गाड़ियों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों में तब्दील करने में गाडी मालिकों की मदद करेंगी.
दिल्ली से बाहर बेचने के लिए यह होंगी शर्तें
दिल्ली से बाहर, देश के दूसरे किसी भी स्थान पर गाड़ी बेचने के लिए दिल्ली सरकार एनओसी जारी करेगी. लेकिन दिल्ली सरकार ने उसके लिए भी भी कुछ नियम और शर्ते रखीं हैं. इसके तहत एनओसी सिर्फ उन्हीं जगहों के लिए जारी किया जायेगा, जिसको नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) ने प्रतिबंधित क्षेत्र से बाहर रखा हो. यानी गाड़ियों की अधिकता और वायु प्रदूषण का स्तर देख कर एनओसी जारी किया जाएगा.
वाहन के स्क्रैपिंग का विकल्प
इलेक्ट्रिक या बेच न पाने की शर्त पर दिल्ली में ऐसे गाड़ियों के चलने की सूरत में उन्हें जब्त कर के कबाड़खाने में दे दिया जाएगा. जी न्यूज़ में छपी एक खबर के इसके लिये महत्वपूर्ण उदाहरण है. जहां दस साल साल से अधिक पुराने डीजल, 15 साल पुराने पेट्रोल गाड़ियों के मामले में कबाड़ में डालने को एनजीटी ने दिया था. वर्धमान कौशिक बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में केस नंबर OA Nos. 21 of 2014 एंड 94 ऑफ़ 2014 में एनजीटी ने दस साल से ज्यादा पुरानी डीजल और 15 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन और चलने के संबंध में एक निर्देश जारी किया था, जहां कहा गया कि यदि मालिक अपनी मर्ज़ी से ऐसी गाड़ियों के स्क्रैपिंग के लिए जाते हैं, तो उन्हें गाड़ी के खरीद पर अलग से फायेदा दिया जाए.
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